किसी बेरोज़गार से पूछिए अपने परिवार के व्हाट्स एप ग्रुप में रिश्तेदारों से तंग आया हुआ है। ये वो रिश्तेदार हैं जो मानते हैं कि बेरोज़गारी इसलिए है क्योंकि बच्चा ही नालायक है। वे यह समझने के लिए तैयार नहीं कि भर्ती निकलती नहीं और पूरी नहीं होती।
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प्राइवेट का भी हाल बुरा है। इन रिश्तेदारों से गैस के सिलेंडर और पेट्रोल की महंगाई को भी ख़ारिज कर दिया है। जिस ग्रुप में रिश्तेदार हैं वो न छोड़ते बनता है और न ब्लाक करते बनता है। ख़ुद नौजवान अपने माँ बाप को नहीं समझा पा रहे हैं। फ़ैमिली ग्रुप में युवा अकेले पड़ चुके हैं।
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आज ट्विटर पर बेरोज़गारी का मुद्दा छाया रहा लेकिन गोदी मीडिया से ग़ायब रहा। देश के नौजवानों ने जिस राजनीति और मीडिया के लिए ताली बजाई आज उसका स्वाद चख लिया होगा।
बहरहाल इस कार्यक्रम में आप देख सकेंगे कि क्यों ट्विटर पर साठ लाख ट्विट की संख्या बेमानी हो गई और क्यों युवा इस तरह के ट्रेंड के सहारे रोज़गार को मुद्दा नहीं बना पा रहे हैं?