आदरणीय रविश जी।
जैसा कि आपको ज्ञात होगा की राज्य सरकार ने अंतिम वर्ष एमबीबीएस छात्रों को कोविड कार्यों में लगाए जाने का आदेश दिया है, उक्त संदर्भ में कुछ बातें आपके सामने रखना चाहूंगा । आशा है कि आप इसे जरूर सरकार तक पहुंचाने में मदद करेंगे ।
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- हमारी एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा बीच में ही स्थगित की गई , कारण बताया गया कॉविड से छात्रों की सुरक्षा हेतु । अब ऐसी कौन सी सुरक्षा जो एग्जाम में covid से बचा के सीधा हमें कोविड वार्ड में तैनात की जाए ।
- ऐसा नही है छात्र अपने कर्तव्य से भाग रहें , मगर हमारी मांग है की हमारे एग्जाम जल्द से जल्द करवाए जाए या फिर छात्रों को Internal Marks के आधार पर पास किया जाए , तत्पश्चात हमें इंटर्न के रूप में कोविड कार्यों में तैनात किया जाए । Covid के लिए दी गई सेवा को Internship की अवधि की तरह समझा जाए ।
देश के विभिन्न राज्यों में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के एग्जाम पहले ही हो चूके हैं। इससे हमारे सत्र सही समय पे खत्म होंगे और अगले वर्ष हमें NEET PG की परीक्षा में भाग लेने के लिए पर्याप्त attendence के कारण योग्य समझा जाएगा । वरना बिहार के छात्र अगले वर्ष इस परीक्षा से वंचित रह जाएंगे और उनका पूरा 1 साल बर्बाद हो जाएगा ।
- केंद्र सरकार के आदेश में कहा गया है की छात्रों को Tele-consultancy एवम Mild case की Monitoring हेतु तैनात किया जाए मगर बिहार के किसी भी अस्पताल में mild, moderate और Severe case के लिए अलग वार्ड तो है नही , मतलब उन्हे झोंक दिया गया है हर तरह के कार्य करने के लिए । और ऐसे Risky कार्य के लिए मानदेय 15000/ महीना तय किया गया है ।
ये बात भी किसी से छुपी नही है की कोविड में सीनियर डॉक्टरों से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों के कंधे पे बोझ है । उन्हे हर तरह के कामों में झोंका जा रहा है । ऐसे में हमारी मांग है की इस मानदेय को बढ़ाया जाए । जान जोखिम में डाल कर किए गए काम के लिए 15000 रुपए बेहद कम है ।
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आये दिन किसी न किसी डॉक्टर की कोविड से मौत की खबरें आती रहती है। हमारे घर वाले भी बहुत चिंतित हैं। इस मानदेय को बढ़ा कर 40000/महीना किया जाए एवम छात्रों को कोविड वॉरियर की तरह इंश्योरेंस दिया जाए ।