आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि मैं अपने कश्मीरी मित्रो से एक सवाल करता हूं कि, उनको सबसे बड़ी शिकायत यह थी कि चुनाव में धांधली होती है। यूपी, तमिलनाडु का आदमी अपना विधायक खुद चुनता है, लेकिन कश्मीर में एडमिनिस्ट्रेशन चुनता है। 1969 में बगैर चुनाव के उम्मीदवार चुनाव जीतकर आए और बाकी लोगों का नामांकन पेपर खारिज कर दिया गया। लोगों का नामांकन पेपर को यह कहकर रद्द कर दिया गया क्योंकि उसमे कुछ गड़बड़ी है।
खान ने कहा कि कश्मीर के भाइयों से पूछना चाहता हूं कि अगर यूपी में यह होता तो क्या वह चुनाव आयोग के पास जा सकते थे, बिल्कुल जा सकते थे, लेकिन जम्मू कश्मीर में आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यहां आर्टिकल 370 है, 370 ने आप लोगों को कुछ नहीं दिया। उन्होंंने पूछा कि आर्टिकल 370 आपको शक्ति दे रहा है या फिर कश्मीर के राजनीतिज्ञों और प्रशानिक अधिकारियों को दे रहा है। आर्टिकल 370 ने आप लोगों की जान निकाल दी है।
बता दें कि इससे पहले आरिफ खान ने तीन तलाक बिल का भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि शरई अदालतों के पास काम की कमी होने लगी है, जो लोग तीन तलाक के झगड़ों पर ही जिंदा थे, उन्हें इस बिल से दिक्कत होने लगी है। उन्होंने कहा था कि तीन तलाक का मामला कई तरह के फसाद को जन्म देता है, लोग तीन तलाक के मामलों के चलते शरई अदालत जाते हैं और कुछ लोग इन्हीं मामलों पर ही जिंदा हैं। लेकिन तीन तलाक बिल पास हो जाने के बाद इन लोगों को काफी दिक्कत हो रही है, तीन तलाक के मामले शरई अदालतों में आने कम हो गए हैं। यही वजह है कि ये लोग सोच रहे हैं कि आखिर उनकी दुकान कैसे चलेगी।