लखनऊ (यूपी) : उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने निजी क्षेत्र की पहली कम्पनी नोयडा पावर कम्पनी लिमिटेड (एलपीसीएल) के प्रबंध निदेशक के वेतन और मंहगे वाहन पर सवाल उठाते हुये मामले की जांच की मांग की है।
वर्मा ने सोमवार को कहा कि नोयडा पावर कम्पनी ने उपभोक्ताओं पर भार डालकर मंहगी कारों का जखीरा खरीद रखा है और फिर से मंहगी कार खरीद का प्रस्ताव तैयार है वहीं कंपनी के एमडी आरसी अग्रवाल का वेतन साढ़े छह करोड़ रूपये सालाना है जो जाॅंच का विषय है।
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एनपीसीएल द्वारा दाखिल एआरआर वर्ष 2021-22 ट्रू-अप वर्ष 2019-20 व एपीआर पर आज विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आर पी सिंह एवं सदस्यगण कौशल किशोर शर्मा एवं विनोद कुमार श्रीवास्तव की उपस्थित में वीडियों कान्फ्रेसिंग के जरिये सम्पन्न हुयी जिसमें नोयडा पावर कम्पनी के एमडी आरसी अग्रवाल ने अपना प्रस्तुतीकरण दि।। नियामक आयोग चेयरमैन ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सभी आपत्तियों का जवाब आने के बाद आयोग बिजली दर पर अंतिम निर्णय लेगा।
प्रदेश के उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुये राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नोयडा पावर कम्पनी का लाइसेंस 30 अगस्त 2023 को समाप्त हो रहा है ऐसे में अच्छा यह होता कि इसकी टैरिफ की सुनवाई न करके अविलम्ब आयोग द्वारा प्रशासक नियक्ति कर इसके सभी असेट का वेरीफिकेशन कराना चाहिये या तो बिडिंग रूट से पुनः टेंडर निकाले जायें या फिर पश्चिमाॅंचल विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा इसे टेकओवर किया जाये।
उन्होने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि निजी क्षेत्र की इस कम्पनी की बैलेन्स सीट को देखने से एक बडा खुलासा हुआ जिसमें कम्पनी के की मैनेजमेन्ट पोस्ट यानि प्रबन्ध निदेशक एनपीसीएल को 6.5 करोड प्रति वर्ष तनख्वाह यानि 55 लाख प्रति माह वह भी वहाॅं के उपभोक्ताओं के खर्चे पर। 2000 मिलियन यूनिट वितरण करने वाली इस कम्पनी के एमडी को भारत में सबसे ज्यादा तनख्वाह दी जा रही है।
आयोग इस पर तत्काल जाॅंच बैठाये। दूसरा सबसे बडा मामला यह है कि वर्ष 2019-20 में एनपीसीएल ने मंहगी कारें खरीदी जिसमें एमजीहेक्टर, हाॅंडा सिविक सहित जानी मानी कम्पनियों की 18 से 22 लाख रू0 की गाडियाॅं और ऊपर से अब वर्ष 2021-22 में भी लगभग 2.25 करोड रू0 की गाडी खरीदने का प्रस्ताव। एनपीसीएल का लाइन लास किसी भी हालत में सात प्रतिशत के ऊपर नही है।
वहीं दूसरी ओर कैपेक्स में वर्ष 2019-20 में नोयडा पावर कम्पनी ने 170 करोड प्रस्तावित किया और अब सीधे वर्ष 2021-22 में 350 करोड रूपये प्रस्तावित करना वह भी जब वर्ष 2023 में उसका लाइसेंस खत्म हो रहा है बडे जाॅंच का मामला है। प्रदेश की पांच सरकारी बिजली कम्पनियों का नारमेटिव आंकडा और नोयडा पावर कम्पनी का दोनो भिन्न हैं यह भी जाॅंच का मामला है।
सब मिलाकर वर्ष 2020-21 में नोयडा पावर कम्पनी के ऊपर उस क्षेत्र के उपभोक्ताओं का जो लगभग रू0 148 करोड निकल रहा है उसके एवज में वहाॅं के उपभोक्ताओं को 10 प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देते हुये उपभोक्ता परिषद द्वारा बिजली कम्पनियों के लिये दाखिल कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव यहाॅं भी लागू किया जाये।
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उपभोक्ता परिषद ने कहा कि एनपीसीएल ने जो सीएसआर खर्च 26 करोड दिखाया है उसका ब्रेकअप लिया जाये साथ ही 8 करोड प्रोफेसनल फीस के बारे में भी पूरी जानकारी माॅंगी जायें। सुनवाई के दौरान एनपीसीएल के प्रबन्ध निदेशक ने उपभोक्ता परिषद के सवालों का जवाब देते हुये कहा कि उपभोक्ता परिषद जो सीएसआर खर्च 26 करोड की बात कर रहा है एनपीसीएल ने पिछले साल उसमें से 25 करोड पीएम फण्ड में दिया था।