हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई के पूर्व निदेशक को बहाल करने के फैसले को हाई पावर सिलेक्शन कमेटी द्वारा रद्द कर दिया गया। अब आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया है। इस मामले में कई राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि इस समिति की अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं और इसमें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सिकरी के साथ साथ कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे भी शामिल हैं।
खबर के मुताबिक आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के मामले में बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास पर ही की गई थी और अब सीबीआई निदेशक की जगह सीबीआई प्रभार अतिरिक्त निदेशक एवं नागेश्वर राव को दे दिया गया है।देश के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले में मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में चुनौती देने का फैसला किया है।

आपको बता दें कि बीते साल अक्टूबर में नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया था तो आलोक वर्मा तुरंत ही अदालत पहुंच गए थे। जिसके बाद अदालत ने नागेश्वर राव को कहा कि वह किसी भी तरह का कोई नीतिगत फैसला ना लें।
अक्टूबर में सीबीआई निदेशक आलोक पद से हटाए जाने के बाद नागेश्वर राव ने कई तबादले किए थे। उस दौरान भी प्रशांत भूषण ने नागेश्वर राव पर कई सवाल उठाते हुए कहा था कि उन पर कथित तौर पर अपनी ड्यूटी के दौरान अनियमिताएं बरतने का आरोप है।

आपको बता दें कि पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “ब्रेकिंग! तो, सीबीआई निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के एक दिन बाद, मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने फिर से आलोक वर्मा को सुने बिना जल्दबाजी में पद से दिया। ऐसा राफेल घोटाले में मोदी के खिलाफ FIR दर्ज करने की संभावना के डर से किया गया है! जांच को रोकने के लिए ऐसी हताशा”।