अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं। बता दें कि नौ नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इन पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार किया। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे।
निर्मोही अखाड़े की मांग
निर्मोही अखाड़ा ने अयोध्या फैसले के खिलाफ नहीं बल्कि शैबियत राइट्स, कब्जे और लिमिटेशन के फैसले पर याचिका दाखिल की थी। निर्मोही अखाड़े ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत से राम मंदिर के ट्रस्ट में भूमिका तय करने की भी मांग की थी।
पहली याचिका जमीयत के सेक्रेटरी ने दाखिल की
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पहली पुनर्विचार याचिका जमीयत के सेक्रेटरी जनरल मौलाना सैयद अशद रशीदी ने दाखिल की थी। रशीदी मूल याचिकाकर्ता एम सिद्दीक के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने कहा था कि अदालत के फैसले में कई ऋुटियां हैं और संविधान के अनुच्छेद 137 के तहत इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी समीक्षा की बात कही
अखिल भारतीय मुसलिम पसर्नल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बीते सप्ताह कहा था कि देश के 99% मुसलमान अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा चाहते हैं। इस पर केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि एआईएमपीएलबी और जमीयते इस्लामी के बयान समाज को बांटने वाले हैं।