योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के बाद अब वक्फ के तौर पर दर्ज की गई सार्वजनिक सपंत्तियों का रिव्यू कराएगी। साल 1989 में जारी किए गए एक गलत आदेश के आधार पर बंजर, ऊसर आदि सार्वजनिक संपत्तियां वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज की गई थी।
दरअसल, नियमों की अनदेखी कर सामान्य संपत्तियों को वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज और वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे के आरोप लगते रहे हैं। सरकार ने पहले ही मदरसों का सर्वे शुरू कराया है औऱ अक्टूबर मध्य तक इस पर रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि UP के सभी जिलाधिकारी और कमिश्नर को आदेश दिया गया है कि 7 अप्रैल 1989 से अभी तक जितनी भी संपत्तियां वक्फ में दर्ज कराई गई हैं, इनके दस्तावेजों की सही तरीके से जांच हो और जमीनों का स्टेटस दर्ज किया जाए। डीएम और कमिश्नर को सभी जिलों की रिपोर्ट एक माह में शासन को सौंपनी होगी।
एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार UP में दो वक्फ बोर्ड सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड हैं। साल 2014 में आए एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 1,23,115 सुन्नी और 7898 शिया वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत 20 अरब रूपये से अधिक है। इनमें से अधिकतर संपत्तियां बेकार पड़ी हैं। 30 फीसदी से अधिक पर अवैध कब्जा है।