नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान एक बार फिर चर्चा में हैं। अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले राज्यपाल आरिफ खान पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी) ने अपने मुखपत्र के जरिए निशाना साधा है। मुखपत्र में राज्यपाल को नसीहत देते हुए कहा गया कि उन्हें संविधान के अनुसार ही काम करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत आधार पर। सीपीएम के इस लेख को लेकर अब राजनीतिक बवाल मच गया है।
सीपीएम ने अपने मुखपत्र में कहा है कि संविधान सरकार पर यह दबाव नहीं डालता है कि सरकार हर दिन की गतिविधि की जानकारी राज्यापल को दे। अनुच्छेद 167 यह बताता है कि मुख्यमंत्री कब राज्यपाल को सूचित करे। इसके अनुसार मुख्यमंत्री केवल कैबिनेट के निर्णयों की सूचना राज्यपाल को देने के लिए बाध्य है।
आरिफ मोहम्मद ने कहा कि यह शुद्ध केंद्रीय सूची का विषय है। सीएए को आर्टिकल 254 के तहत राज्यों को लागू करना ही होगा। सीएए के विरोध को लेकर केरल के राज्यपाल ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब सीएए का विरोध हो रहा है। इससे पहले भी इसका विरोध किया गया है। भारत में परिपक्व लोकतंत्र है। विरोध करने का सभी को अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। तर्क के आधार पर विरोध जता सकते हैं लेकिन किसी को बाहुबल के आधार पर फैसले बदलवाने का अधिकार नहीं है।
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केरल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ हुए प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है। इससे पहले, कांग्रेस नेता और वाडकारा से सांसद के. मुरलीधरन ने राज्यपाल के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए धमकी दी थी कि यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं, तो सड़क पर नहीं चल पाएंगे।