असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी हो गई है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस लिस्ट में 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को जगह मिली है। वहीं 19 लाख लोगों का इस सूची में नाम नहीं है। हालांकि, इन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन्हें तुरंत विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। इन लोगों के लिए कानूनी रास्ते खुले होंगे। जिनका भी नाम इस लिस्ट में नहीं है वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे। इसके लिए उनके पास 120 दिनों का समय है। बहरहाल फाइनल लिस्ट आते ही इसे लेकर तमाम तरह की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के शनिवार सुबह दिल्ली के 10 जनपथ पर एनआरसी सूची पर चर्चा के बाद पत्रकारों से बात की। इस दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार असम में इस मुद्दे को संभालने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि, देश उनका है। उन्हें जहां चाहें वहां एनआरसी को लागू करना चाहिए। वह असम एनआरसी को संभालने में सक्षम नहीं थे और अब इसे अन्य राज्यों में भी ले जा सकते हैं। उन्हें संसद में भी एनआरसी का संचालन करना चाहिए। मैं भी एक बाहरी व्यक्ति हूं क्योंकि मेरे पिता बांग्लादेश में रहते थे।
कांग्रेस की बैठक में अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, गौरव गोगोई सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। चौधरी ने कहा कि एनआरसी की लिस्ट पर कोई भी जेनविन सिटीजन को ना निकाला जाए और सबको सुरक्षा दी जाए। हमारी यही दो मांगे हैं।असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की अंतिम सूची शनिवार को जारी हुई। जिसमें 19 लाख से ज्यादा लोग शामिल नहीं थे। एनआरसी का मकसद वास्तविक नागरिकों की पहचान करना और राज्य से अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालना है।