नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले पर अडिग राहुल गांधी ने कहा कि ऐसा उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय पर जवाबदेही तय करने के लिये किया और इससे पीछे हटने का कोई सवाल नहीं उठता. राहुल गांधी ने गुरुवार को पार्टी की हरियाणा इकाई के नेताओं के साथ बैठक को संबोधित करते हुए ये बातें तब कहीं जब नेताओं उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने और पार्टी का नेतृत्व जारी रखने का अनुरोध किया.
राहुल गांधी ने कहा कि मुझे इसी बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दिया. दरअसल बुधवार को यूथ कांग्रेस के लोग राहुल गांधी के घर के बाहर एकत्रित हुए थे. मकसद था राहुल गांधी इस्तीफा न दें और कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहें. राहुल गांधी के समर्थन में उनके घर के बाहर जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बैठे तो राहुल ने सभी को अपने घर पर आमंत्रित किया और उनसे अपने मन की बात की.
बैठक में यूथ कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सर (राहुल गांधी) ये सामूहिक हार है सबकी जिम्मेदारी बनती है तो सिर्फ इस्तीफा आपका ही क्यों? राहुल गांधी ने बड़ा मार्मिक जवाब देते हुए कहा, मुझे इसी बात का दुख है कि मेरे इस्तीफे के बाद किसी मुख्यमंत्री, महासचिव या प्रदेश अध्यक्षों ने हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा नहीं दिया.
आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने नेताओं को स्पष्ट तौर पर कहा कि इस बारे में वे आपस में ही चर्चा करें, जिससे राज्य की इकाई विचित्र स्थिति में फंस गई. बहरहाल बैठक में आम चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजहों और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई.
सूत्र के मुताबिक राहुल गांधी ने यह भी कहा, ‘मैं अब अध्यक्ष नहीं रहूंगा…पार्टी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया होनी चाहिए. किसी दूसरे को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. मैंने नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया से भी खुद को अलग करने का निर्णय लिया हैं. मैं पार्टी में सक्रिय रहूंगा और आपकी (युवाओं) तथा जनता की लड़ाई लड़ता रहूंगा.’ सूत्र ने कहा, ‘राहुल गांधी ने यह भी कहा कि बुजुर्ग नेताओं को अब अपने भविष्य की चिंता नहीं है, बल्कि युवाओं को चिंता है इसलिए अब कांग्रेस में भविष्य 45 वर्ष से कम आयु के नेताओं का है