दुनिया में एक धावक ऐसा भी हुआ है जिसने ओलम्पिक के तीन स्वर्ण पदक 5000 मीटर , 10000 मीटर और मैराथन दौड़ में एक साथ जीते थे । जी हॉ ,यह महान धावक थे Chechoslovak ( चैकोसलोवाकिया ) के एमिल जाटोपेक ( Emil Zotopec ) जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में यह कर दिखाया था। उनका यह रिकार्ड आज तक नहीं टूटा है ।
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एमिल जाटोंपैक ने 18 वर्ष की आयु तक कभी दौड़ में भाग भी नहीं लिया था । उन्हें लगता था कि दौड़ना उनके वश की बात नहीं है। एक दिन स्कूल के कोच सभी लड़कों को मैदान में दौड़ने के लिये कह रहे थे तो उन्होंने एमिल से भी कहा तो एमिल ने कोच से कहा कि वह दौड़ नहीं पायेंगे । कोच ने इसपर उन्हें फटकार लगाई कि क्यों नहीं दौड़ पाओगे जबकि तुममें कोई शारीरिक कमी भी नहीं है । एमिल फिर भी मना करते रहे। कोच को ग़ुस्सा आ गया और कहा कि या तो दौड़ लगाओ या चिकित्सक से प्रमाण पत्र लाओ कि तुम दौड़ने लायक़ नहीं हो। एमिल चिकित्सक के पास गये तो चिकित्सक ने यह प्रमाण पत्र दिया कि एमिल में कोई शारीरिक कमी नहीं है और वह दौड़ सकते है।
एमिल के पास अब कोई बहाना नहीं था और मजबूरी में उन्हें मैदान में दौड़ना पड़ा । एमिल ने जैसे ही दौड़ना शुरू किया तो उन्हें अपना शरीर एकदम से हल्का लगने लगा और जैसे उनके शरीर की हर नस खुलने लगी हो । एमिल को लगा कि वह नाहक ही अब तक दौड़ से बचते रहे है। चार माह बाद ही एक प्रतियोगि दौड़ जिसमें 100 लड़के हिस्सा ले रहे थे में वह दूसरे नम्बर पर आये। अब तो उन्हें जैसे मंज़िल मिल गई और वह हर दौड़ के मुक़ाबले में भाग लेने लगे और जीतने लगे। चार साल बाद ही वह दौड़ में अपने देश के राष्ट्रीय चैंपियन बन गये ।
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1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में जब उन्होंने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया तो उनकी आयु 30 वर्ष थी जो एक रेसर के हिसाब से कुछ ज़्यादा ही थी पर उन्होंने इस ओलम्पिक में दौड़ के तीन स्वर्ण पदक जीते। मैराथन दौड़ में भाग लेने की कहानी तो और विस्मय कारी है। एमिल दो स्वर्ण पदक जीत चुके थे और उस दिन ख़ाली थे। किसी ने उनसे कहा ख़ाली बैठे रहने से अच्छा है कि मैराथन दौड़ में ही भाग ले ले । एमिल को बात जँच गई और इस तरह उन्होंने दौड़ का तीसरा स्वर्ण पदक भी जीत लिया ।
कोच की एक फटकार ने एमिल की दुनिया बदल दी । कई बार हम सोचते हैं कि अमुक काम हम से नहीं हो पायेगा पर जब हम पूरी लगन और आत्म विश्वास से उसे करते हैं तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है। एमिल जाटो पैक की कहानी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।