नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस और उसके गठबंधन दल की करारी हार का जल्द ही साइड इफेक्ट देखने को मिल सकता है। क्योंकि लालू यादव की पार्टी आरजेडी में तेजस्वी यादव को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। तेजस्वी यादव को पार्टी के अंदर ही बगावत का सामना करना पड़ा है। क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी खात तक नहीं खोल पाई। हालांकि गठबंधन के खाते में एक सीट जरूर आई है। जिसकी वजह से पार्टी नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
आरजेडी से इतर राजनीतिक भविष्य तलाशने में जुटी कांग्रेस
इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि बिहार में कांग्रेस भी अब आरजेडी से इतर राजनीतिक भविष्य की तलाश में जुट गई है। क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव चुनाव में बिहार में कांग्रेस को भी कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ। बिहार की 40 सीटों में से एनडीए 39 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि गठबंधन को एक मात्र सीट किशनगंज से कांग्रेस उम्मीदवार जीत हासिल करने में सफल रहा है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब आरजेडी का खाता तक नहीं खुला है।
आरजेडी के साथ गठबंधन की वजह से उल्टा कांग्रेस को ही हुआ नुकसान
कांग्रेस के नेताओं की माने तो सालों से बिहार में कांग्रेस और आरजेडी साथ रही है लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला है। कई बार मौका भी दिया गया लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। कांग्रेस के नेता ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि एक दशक से अधिक समय तक साथ रहने के बाद भी उल्टा कांग्रेस पार्टी को जो भी जनाधार था वह भी खत्म हो गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव से कम से कम एख साल संगठन पर काम करना चाहती है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि अगर कांग्रेस, आरजेडी से अलग हो कर स्वतंत्र राजनीति करती है तो मुस्लिम उसके साथ जुड़ सकते हैं।
इधर बिहार में सफाया होने के बाद वर्तमान में पाटी कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव को लेकर भी पार्टी के कुछ नेताओं में मतभेद शुरू हो गए हैं। नेताओं का मानना है कि लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति का असर इस बार के लोकसभा चुनाव में साफ देखने को मिला है।