राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच खींचतान और बढ़ गई है। खबरों की मानें तो बीते एक हफ्ते में बीजेपी अध्यक्ष शाह राजस्थान के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर सके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिन नामों पर शाह विचार कर रहे हैं, उन्हें अध्यक्ष बनाने पर सीएम राजे हाँ नहीं कर रही हैं।
अगर ऐसा है तो बीजेपी की राजनीति में यह दुर्लभ मौका ही होगा, जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के फैसले को पार्टी के अंदर ही किसी ने वीटो करने की कोशिश की हो। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए गए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को स्वीकाने के लिए मुख्यमंत्री खेमा बिल्कुल तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री खेमे ने केंद्रीय नेतृत्व तक शेखावत को जाट विरोध बताने के कई प्रमाण उपलब्ध कराए हैं। हालांकि, शेखावत को छोड़कर कोई भी नाम स्वीकारने को राजे तैयार हो गई हैं।
वसुंधरा समर्थक जाट मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारी पिछले तीन दिन से दिल्ली में जमे हुंए है, वहीं मंगलवार को जाट समाज के प्रतिष्ठित लोगों को भी दिल्ली भेजा गया है। इन लोगों ने संगठन महामंत्री रामलाल और सह संगठन मंत्री वी. सतीश के समक्ष अपनी बात रखी। इनमें राजपूत समाज के कई नेता भी शामिल हैं। प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़, वन मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, उधोग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, विधायक बाबू सिंह राठौड़ सहित एक दर्जन मंत्री और विधायक शामिल हैं।
वहीँ इस मामले में बीते हफ्ते से चल रही खींचतान के बीच भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच मंगलवार शाम मोबाइल पर बातचीत हुई । इस दौरान कोई बीच का रास्ता निकालने को लेकर चर्चा हुई बताई।