सुप्रीम कोर्ट अमृत-धारा नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे○एस○ खेहर ने कोर्ट का समय बर्बाद करने वाली जनहित याचिकाओं पर कहा याचिका दायर करने वालों ने कोर्ट को अमृत धारा समझ रखा है।
जस्टिस खेहर ने कहा कि आजकल लोग सुबह उठते ही तय करलेते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट चलते हैं। कोर्ट कोई अमृत-धारा नहीं है जो हर मर्ज़ में काम आए, कोई दवा नहीं है जो हर सामाजिक बीमारी का इलाज करे।
जया ठाकुर नामक याचिकाकर्ता ने एक याचिका डाली थी जिसके द्वारा शवों को सम्मानपूर्वक धार्मिक गतिविधि से अंतिमयात्रा सुविधा मुहिया करने की मांग की गई थी। याचिका में हाल ही में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उड़ीसा में हुइ कई घटनाओं का वर्णन किया गया जिसमें परिजन अपने मृत परिजनों के शवों को लेकर कई की○मी○ पैदल चले, ये घटनाएं एम्बुलेंस सुविधाओं की दुर्बल कार्यप्रणाली के चलते हुईं।
इसमें कोर्ट ने फटकार लगाते हूए याचिकाकर्ता को सम्बन्ध प्राधिकार के पास जाने की बात कही। साथ ही जस्टिस खेहर ने कहा की क्या हमारे पास कोई और काम नहीं?: ऐसी याचिकाओं के हर पन्ने को पढ़ने में न्यायिक समय बर्बाद होता है।
हाल ही में कोर्ट ने बिहार के एक एम○एल○ए○ पर व्यर्थ की याचिका दायर करने पर रु○ दस लाख का जुरमाना लगाया था।
जस्टिस खेहर ने व्यर्थ याचिकाओं के लहिलाफ एक अभूतपूर्व अभियान चलाया हुआ है।