नई दिल्ली। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महमाजन ने हेमंत करकरे की शहादत को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे ड्यूटी के वक्त शहीद हुए थे, लेकिन बतौर महाराष्ट्र एटीएस चीफ उनकी भूमिका ठीक नहीं थी। महाजन ने कहा कि हेमंत करकरे के दो पहलू हैं, वह शहीद हुए क्योंकि वह ड्यूटी पर थे, लेकिन बतौर पुलिस अधिकारी उनकी अगर भूमिका सही नहीं थी तो हम यह कहेंगे कि उनकी भूमिका सही नहीं थी।
भाजपा नेता ने कहा कि उनके पास इस तरह का कोई सबूत नहीं है, लेकिन उन्होंने सुना है कि कांग्रेस के नेता और भोपाल से पार्टी के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह करकरे के दोस्त थे। जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, वह अक्सर आरएसएस पर बम बनाने का आरोप लगाते थे और इसे आतंकी संगठन कहते थे। उनके ही इशारों पर महाराष्ट्र एटीएस ने गिरफ्तारी की थी।
सुमित्रा महाजन के इस बयान पर पलटवार करते हुए दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करके पलटवार किया है। उन्होंने लिखा है कि सुमित्रा ताई, मुझे आप पर गर्व है कि आपने मुझे अशोक चक्र विजेता हेमंत करकरे से जुड़ा हुआ बताया, आपके सहयोगियों को करकरे से जुड़ने में शर्मिंदगी महसूस होती होगी, लेकिन मैंने हमेशा उनका समर्थन किया है जिन्होंने देश की सुरक्षा की है, जिन्होंने देश की अखंडता के लिए काम किया है।
महाजन ने यह भी कहा कै कि प्रज्ञा ठाकुर एकमात्र महिला नहीं थी जिन्हें पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया, बल्कि दिलीप पाटीदार भी इसमे शामिल हैं, जिन्हें महाराष्ट्र एटीएस ने गिरफ्तार किया। पाटीदार कभी वापस नहीं लौटे, उनके लापता होने का मुद्दा लोकसभा और कोर्ट में उठाया गया है। सुमित्रा महाजन ने आरोप लगाया है कि उनकी पुलिस हिरासत में हत्या कर दी गई, ये सभी बातें तथ्य हैं किसी को इसका जवाब देना होगा।
सुमित्रा के बयान पर पलटवार करते हुए भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने कहा है, ‘सुमित्रा ताई, मुझे गर्व है कि अशोक चक्र विजेता शहीद हेमंत करकरे के साथ आप मुझे जोड़ती हैं। आपके साथी उनका अपमान भले ही करें, मुझे गर्व है कि मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘सुमित्रा ताई, मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझमें सिमी और बजरंगदल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।’