नई दिल्ली: मोदी सरकार भले ही भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा कर रही हो लेकिन वो फिलहाल भ्रष्टाचार के मामलो में फंसे अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नज़र नहीं आ रही। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र के भाजपा एमएलसी की फर्म यानी कंपनी कथित तौर पर टैक्स चोरी और मानव तस्करी में शामिल पाई गई है।
इसके बावजूद केंद्र की मोदी सरकार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। बल्कि सरकार ने मामले में कार्रवाई को रोक दिया है। मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन ने अपनी ही फर्म के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें टैक्स चोरी और मानव तस्करी में कथित तौर पर शामिल होने के लिए महाराष्ट्र में भाजपा के एमएलसी प्रसाद दिनेश लाड की विमानन सेवा फर्म को क्लियरेंस देने पर रोक लगा दी गई थी।
4 अप्रैल को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्युरिटी (BCAS) ने आरोप लगाया कि लाड और उनकी पत्नी से जुड़ी क्रिस्टल एविएशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने सहयोगी फर्मों का टैक्स बचाने के लिए फर्जी कर्मचारियों का भुगतान रजिस्टर बनाया। सुरक्षा से जुड़ी रिपोर्ट के हवाले से यह भी आरोप लगाया गया कि इसी समूह की कंपनियां नौकरी के लिए लोगों को दुबई भेजती है। हालांकि, 9 अप्रैल को लाड की अपील पर 18 अप्रैल को मंत्रालय ने इस पर रोक लगा दी और BCAS को नोटिस वापस भेज दिया।
इसमें कहा गया कि फर्म को व्यक्तिगत सुनवाई के निर्देश भेजें। साथ ही, मामले में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से विस्तृत रिपोर्ट हासिल कर दो महीने में अंतिम आदेश पास करने को भी कहा गया। रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल एविएशन के सचिव राजीव नयन से ईमेल के जरिए मामले में सवाल पूछे गए तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
इंडियन एक्सप्रेस ने जब सतीश चंद्र (अंडर सेक्रेटरी) द्वारा हस्ताक्षर किए आदेश को लेकर BCAS के डायरेक्टर जनरल से फोन और ईमेल के जरिए बातचीत करना चाहा तो वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, जब लाड से मामले में संपर्क किया तो उन्होंने सभी आरोपों को आधारहीन और बकवास बताया।
लेकिन BCAS ऑर्डर की इंडियन एक्सप्रेस ने जांच की तो पता चला कि सेंट्रल सुरक्षा एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट (9-2-18) में कहा है कि क्रिस्टल एविएशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड ने लोगों की भर्ती की और उन्हें नौकरी के लिए दुबई भेजा। इन लोगों की भर्ती सुरक्षा, घरेलू कामकाज, रख-रखाव जैसे कामों के लिए की गईं। रिपोर्ट के मुताबिक, फर्मों का टैक्स बचाने के लिए इन लोगों के दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कर्मचारियों की लिस्ट बनाई गई। ये जानकारी BCAS के ऑर्डर में दी गई है।
सौजन्य: इंडियन एक्सप्रेस