नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यौन संबंधों को लेकर बड़ा फैसला दिया है। एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी का वादा करके किसी महिला से यौन संबंध बनाना और फिर उससे शादी नहीं करना रेप माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में यौन संबंध के लिए महिला की सहमति के कोई मायने नहीं हैं क्योंकि यह धोखा देकर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एल नागेश्वर राव और एमआर शाह ने यह बड़ा फैसला दिया है।
अपने फैसले में यह दोनों जजों की बेंच ने कहा कि शादी का वादा करके जब युवक महिला के साथ यौन संबंध बनाता है और उससे शादी करता है तो महिला की सहमति को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि महिला इस भ्रम में है कि युवक उससे शादी करेगा। शादी के वादे की वजह से ही युवती ने यौन संबंध बनाया, लिहाजा इसे महिला की सहमति नहीं माना जा सकता है। इसमे साफ होता है कि युवक महिला से शादी नहीं करना चाहता है और उसने सिर्फ यौन संबंध के लिए महिला से शादी का वादा किया और उसकी सहमति हासिल की।
जस्टिस शाह ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की घटनाएं आजकल काफी बढ़ रही है, इस तरह के अपराध समाज के खिलाफ हैं। बलात्कार नैतिक और शारीरिक रूप से समाज में घृणित अपराध है, पीड़िता के शरीर ,दिमाग और व्यक्तिगत गोपनीयता का शोषण है। कोर्ट ने फैसले में साफ किया कि हत्या के हत्यारा शरीर को खत्म करता है जबकि बलात्कारी एक असहाय महिला की आत्मा को खत्म करता है।
कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दोषी डॉक्टर अनुराग सोनी को सात साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार एक महिला को जानवर बना देता है क्योंकि यह उसकी आत्मा को झकझोर कर रख देता है। किसी भी सूरत में रेप पीड़िता को अपराधी नहीं कहा जा सकता है। रेप पीड़िता के जीवन में हमेशा के लिए दुख देकर जाता है। बलात्कार पूरे समाज के खिलाफ अपराध है और पीड़िता के मानवाधिकार का हनन है।