नई दिल्ली: चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने पर कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के फैसले की आलोचना की। कांग्रेस ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने बहुत जल्दबाजी में प्रस्ताव को खारिज किया है जबकि उन्होंने किसी विशेषज्ञ से इसके लिए सलाह भी नहीं ली। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने यह भी कहा कि इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस कोर्ट जाएगी। सिब्बल ने कहा, ‘चीफ जस्टिस के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज करने का उपराष्ट्रपति का फैसला तर्कसंगत नहीं है।
संवैधानिक नियमों के दायरे में राज्यसभा के सभापति का काम सिर्फ जरूरी सांसदों की संख्या का नंबर देखना होता है और उनके हस्ताक्षरों की जांच करनी होती है। हालांकि, उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव खारिज करने से पहले कम से कम कलिजियम की राय तो लेनी ही चाहिए थी, लेकिन फैसला बहुत हड़बड़ी में किया गया।’
उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस के ऊपर लगाए गए आरोपों की जांच करने का अधिकार राज्यसभा सभापति के पास नहीं है। पूर्णकालिक जांच कमिटी ही इसका फैसला कर सकती है कि लगाए गए आरोप सही हैं या गलत, लेकिन राज्यसभा सभापति ने उलझन भरी स्थिति में महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। सिब्बल ने कहा कि हम इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ यहीं कहेंगे कि यह फैसला गैर-कानूनी और हतप्रभ करने वाला है। इस फैसले को अभूतपूर्व कह सकते हैं। महाभियोग के पीछे हमारा उद्देश्य राजनीतिक नहीं बल्कि निष्पक्ष न्यायपालिका और संवैधानिक संस्था की मजबूती के लिए की गई कोशिश थी।