नई दिल्ली। गुजरात के पाटिदार नेता हार्दिक पटेल साल 2015 में हुए मेहसाणा दंगे में दोषी करार दिए गए थे। इसके चलते वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य साबित हो गए। ऐसे में अब हर्दिक पटेल गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। यहां उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए गुहार लगाई है।
आपको बता दें कि बीते बुधवार को ही गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर स्थगन आदेश देने की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया था. सरकारी वकील मितेश अमीन ने अदालत से कहा था कि पटेल करीब 17 मुकदमों का सामना कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि उनका चरित्र ठीक नहीं है. पटेल के वकील ने कहा था कि अगर स्थगन आदेश नहीं दिया गया तो उससे उनके मुवक्किल को ‘अपूरणीय क्षति’ होगी क्योंकि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं. जुलाई 2018 में सत्र अदालत ने उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी. वे फिलहाल जमानत पर चल रहे हैं.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था और जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल या उससे अधिक समय के लिए जेल की सजा काट रहा शख्स तब तक चुनाव नहीं लड़ सकता जब तक उसकी दोषसिद्धि पर रोक न लगा दी जाए। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट हर्दिक की बात नहीं सुनता है तो वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसे कांग्रेस को नुकसान होगा क्योंकि हाल ही में हार्दिक कांग्रेस में शामिल हुए हैं और जामनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी में भी हैं। दूसरी ओर चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख पहले ही नजदीक है। नामांकन भरने की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है।
बता दें कि बीते साल जुलाई में सेशन कोर्ट ने हार्दिक पटेल को दो साल की सजा सुनाीई थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।