जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि जज लोया की मौत हार्ट अटैक से ही हुई. इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की जांच से इनकार कर दिया. कोर्ट ने जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं राजनीति से प्रेरित है, बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के बयान पर शक नहीं किया जा सकता.
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने इसे सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन बताया।
उन्होंने कहा, ”यह बेहद दुरभाग्यपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट उन चार जजों के बयान को आधार बनाया जिनके बयान का कोर्ट में कोई हलफनामा नहीं आया. उस पुलिस अधिकारी के बयान का कोई हलफनामा भी नहीं आया जिसके सामने चारों जजों ने बयान दिए थे. यह गलत फैसला है और मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन है.”
प्रशांत भूषण ने कहा, ”जज लोया के परिवार ने भी उनकी मौत को लेकर सवाल उठाए थे. उनकी फैसली ने कहा था कि वहां के चीफ जस्टिस ने जज लोया को घूस ऑफर की थी, इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं कहा. ऐसे में एक स्वतंत्र जांच के बजाए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर्दा डालने का काम किया है.”
क्या है पूरा मामला?
जज लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी, जब वह अपनी एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे. यह मामला तब सामने आया जब उनकी बहन ने भाई की मौत पर सवाल उठाए थे. बहन के सवाल उठाने के बाद मीडिया की खबरों में जज लोया की मौत और सोहराबुद्दीन केस से उनके जुड़े होने की परिस्थितियों पर संदेह जताया गया था.