उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव मंगलवार की सुबह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जाने के लिए लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पहुंचे। जहां उन्हें फ्लाइट में चढ़ने से रोक दिया गया।
अखिलेश यादव को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ एनुअल फंक्शन में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। लेकिन RSS का छात्र संगठन ABVP लगातार इसका विरोध कर रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अखिलेश को रोकने का आग्रह ख़ुद यूनिवर्सिटी ने किया था।

उन्होंने कहा कि ‘यूनिवर्सिटी ने खुद इस बारे में उनसे अनुरोध किया था कि सपा अध्यक्ष के दौरे से यहां छात्र संगठनों के बीच विवाद पैदा हो सकता है और कानून-व्यवस्था को लेकर हालात खराब हो सकते हैं। ऐसे में सरकार ने उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी जाने से रोकने का फैसला किया।’
सीएम योगी भले ही सपा प्रमुख को रोके जाने का कारण बता रहे हों लेकिन अखिलेश को रोकने वाले अधिकारियों को भी नहीं पता कि उन्हें क्यों रोका गया। अखिलेश यादव ने ट्विटर के ज़रिए कहा कि बिना किसी लिखित आदेश के उन्हें एयरपोर्ट पर रोका गया। जब अधिकारियों से इसके बारे में पूछा गया तो वह कारण बताने में नाकाम रहे।
अखिलेश ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘छात्र संघ कार्यक्रम में जाने से रोकने का एक मात्र मकसद युवाओं के बीच समाजवादी विचारों और आवाज को दबाना है।’
उधर विपक्ष भी अखिलेश यादव को रोके जाने को लेकर योगी सरकार की निंदा कर रहा है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने योगी सरकार के इस स्टंट को तानाशाही और लोकतंत्र विरोधी बताया है।

मायावती ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से लिखा है ‘समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को आज इलाहाबाद नहीं जाने देने कि लिये उन्हें लखनऊ एयरपोर्ट पर ही रोक लेने की घटना अति-निन्दनीय व बीजेपी सरकार की तानाशाही व लोकतंत्र की हत्या की प्रतीक।’
बसपा सुप्रीमों ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है ‘क्या बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकार बीएसपी-सपा गठबंधन से इतनी ज्यादा भयभीत व बौखला गई है कि उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधि व पार्टी प्रोग्राम आदि करने पर भी रोक लगाने पर वह तुल गई है। अति दुर्भाग्यपूण। ऐसी आलोकतंत्रिक कार्रवाईयों का डट कर मुकाबला किया जायेगा।’