हर साल मिडिल ईस्ट के कई बड़े देशों में भारत से रोजगार की तलाश में कई भारतीय जाते हैं। सऊदी अरब, दुबई, क़तर समेत अब तक कई देशों में भारतीय लोग नौकरी कर पैसे कमा रहे हैं। हाल ही में मिडिल इस्ट के देश कतर में काम कर रहे प्रवासियों के लिए एक ऐसी खबर सामने आई है जिसे पढ़कर भारतीय प्रवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ेगी। अब कतर में काम करने वाले विदेशी मजदूरों को देश छोड़ने के लिए अपने मालिकों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। कतर सरकार ने देश के आवासीय कानूनों में संशोधन किया है जिसमें यह प्रावधान जोड़ा गया है।
लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता इस कानून को खत्म करने की मांग कर रहे थे। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के मुताबिक नए कानून के तहत अब प्रवासी श्रमिक अपने नियोक्ता से मंजूरी लिए बगैर देश छोड़ सकते हैं। आईएलओ ने कतर के इस फैसले की सराहना करते हुए इसे महत्वपूर्ण कदम बताया है। पिछले साल कतर ने श्रमिक कानूनों में सुधार समेत, वीजा नियमों में बदलाव किए जाने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
कतर की सरकारी न्यूज एजेंसी ने इस कानून में संशोधन किए जाने की पुष्टि की है। हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि कितने प्रावधानों में बदलाव किया गया है। साल 2020 में होने वाले फुटबॉल विश्वकप की मेजबानी करने जा रहा कतर मजदूरों के शोषण जैसे आरोपों से मुक्त होना चाहता है। कई श्रमिक और मानवाधिकार संगठन कतर और अन्य खाड़ी देशों में चलने वाले “कफाला स्पॉन्सरशिप सिस्टम” की निंदा करते आए हैं। इस सिस्टम को प्रवासी कामगारों पर निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अकुशल विदेशी मजदूरों को अपने लिए किसी स्पॉन्सर की जरूरत होती है, जो वीजा और कानूनी प्रक्रिया की देखरेख करता है।
अधिकतर मामलों में यह स्पॉन्सर इनका नियोक्ता ही होता है। इन अकुशल मजदूरों से निर्माण क्षेत्र और घरेलू सेक्टरों में काम लिया जाता है। ये सिस्टम ओमान, कुवैत, सऊदी अरब, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में आज भी लागू है। हालांकि एशियाई कामगारों के लिए अभी भी अपने मालिकों से नौकरी बदलने के लिए अनुमति लेना मुश्किल होगा