उत्तर प्रदेश: ताजमहल पर मालिकाना हक को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड और Archaeological Survey of India के बीच लड़ाई चल रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही हैं। वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा, ताजमहल पर मालिकाना हक का दावा कोई भी इंसान नहीं कर सकता। ये सम्पति ऊपर वाले यानी भगवान की है। हम तो इसके रक्षक हैं। हम मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में ये कौन विश्वास करेगा कि ताजमहल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है ?
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि ताजमहल को हमारे नाम किया गया था। लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर ये कहा जा सकता है कि ये वक्फ की संपत्ति है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करना ही मुख्य समस्या है। आपने एक बार प्रॉपर्टी को रजिस्टर कर दिया है, लेकिन आप उसपर दावा नहीं कर रहे हैं। जो दलील आप दे रहे हैं, ये प्रॉपर्टी को अपने पास रखने का कोई आधार नहीं हो सकती है।
आपको बता दें की ताज महल पर मालिकाना हक जताते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि खुद मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में इसका वक्फनामा किया था। मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल कर ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की।
वहीँ इस मामले में ASI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर ताजमहल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति माना जाता है तो कल को लाल किला और फतेहपुर सीकरी पर अपना दावा करेंगे। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।