जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) राजद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस ने विवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत कई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में विश्वविद्यालय के 14 छात्रों को गवाह बनाया गया है। इसके अलावा पुलिस ने गवाहों की लिस्ट में 24 पुलिसकर्मी और जी न्यूज के चार कर्मचारियों सहित कुल 77 लोगों के नाम शामिल किए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में सामने आया है कि, पुलिस ने जिन 14 छात्रों का नाम गवाहों की लिस्ट में शामिल किया है, सभी छात्र अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबंध रखते हैं। जबकि दो अन्य छात्र एबीवीपी के ही समर्थक हैं।

पुलिस के गवाहों में जेएनयू के पूर्व यूनिट सेक्रेटरी रह चुके एबीवीपी के संदीप कुमार सिंह, एबीवीपी समर्थक अखिलेश पाठक, एबीवीपी के जेएनयू के यूनिट ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे ओमकार श्रीवास्तव, कैंपस में घटना के दिन एबीवीपी के जेएनयू के यूनिट प्रेसीडेंट रहे आलोक कुमार सिंह, एबीवीपी से जेएनयूएसयू के ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे सौरभ शर्मा, जेएनयू में संगठन के पूर्व ऑफिस सेक्रेटरी रहे अंकुर आर्यन, एबीवीपी के एसआईएस के प्रेसीडेंट रहे भाष्कर ज्योति, जेएनयू में एबीवीपी की ज्वाइंट सेक्रेटरी रहीं प्रियदर्शिनी, वर्तमान में संगठन की दिल्ली स्टेट ज्वाइंट सेक्रेटरी अनिमा सोनकर, संगठन के जेएनयू में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे सुकांत आर्या, एबीवीपी के जेएनयू यूनिट के वाइस प्रेसीडेंट रहे बिनीत लाल, संगठन की एक्जीक्यूटिव मेंबर रहीं श्रुति अग्निहोत्री, संगठन के सदस्य राम नयन वर्मा और एबीवीपी समर्थक आनंद कुमार शामिल हैं।

बता दें कि, जेएनयू के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ फरवरी, 2016 में यूनिवर्सिटी परिसर के भीतर देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है। कुमार के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ भी देश विरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। इस मामल में दिल्ली पुलिस चार्जशीट दायर कर चुकी है।
हालांकि इसी मामले में पुलिस की कोर्ट में किरकिरी भी हुई थी। कोर्ट में बिना अनुमति के आने पर तीखी टिप्पणी की थी। जिसके बाद दिल्ली सरकार में कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने गुरुवार (24 जनवरी, 2019) को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (लॉ) को कारण बताओ नोटिस भेजा है। इसमें बिना उनकी मंजूरी के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह से जुड़ा मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर एतराज जताया था।
साभार: जनसत्ता