14 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी ए!नकाउंटर नीति पर सफाई देनी पड़ी थी, पुलिस अफसरों पर पद का दुरूपयोग और नि!र्दोष लोगों को जान से मारने की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अफसर अपनी जांच के बीच हैं | संयुक्त राष्ट्र के 4 विशेष दूतों ने संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश में लोगों को अ!पराधी बता कर मार देने की घटनाओं पर गहरा ए!तराज़ जताया है | साथ ही केंद्र सरकार को दोषी पुलिस अफसरों पर कार्यवाही और शिकायत करने वाले परिवारों की सुरक्षा करने का निर्देश दिया है |
इसी बीच 23 जनवरी को रात 10.30 बजे हरयाणा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ए!नकाउंटर में मारे गए युवक वसीम के परिवार के दो लड़कों को उनके घर से उठा लिया है | 18 वर्ष का नवाज़िश और 20 साल का कदीम का कोई भी आ!पराधिक रिकॉर्ड नहीं है | दोनों मजदूरी का काम करते हैं | घर में केवल उनकी माँ और बहन थी जब पुलिस ने ज़बरदस्ती उन्हें बिना किसी कारण बताये उठा लिया | उनके परिवार के सदस्यों को कोई जानकारी नहीं है कि दोनों को कहाँ ले जाया गया है और पुलिस के द!हशत में वो अभी खुद भी कुछ करने में असमर्थ हैं | मामला पानीपत जिले के अधमी गाँव का है |

इसके पहले मृ!तक के पिता मुस्तकीन जी को एक फ!र्जी केस में उठा लिया गया है | 55 वर्ष के उस आदमी का गुनाह सिर्फ इतना है कि उसने अपने बेटे की ह!त्या पर कार्यवाही के लिए कोर्ट से गुहार लगायी थी | उनके ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा है कि वो केस को आगे नहीं लेकर जायें | आज की पुलिस कार्यवाही इसी दिशा में वरिष्ठ पुलिस अधिकारों की मुहीम है |

वसीम की माँ और मुस्तकीन की पत्नी मीना जी ने इस लड़ाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपने पति के गै!र-कानूनी गिरफ़्तारी और अपने बेटे को न्याय दिलाने को सोचा है | पुलिस द्वारा लगातार उन सबको धम!कियाँ मिली हैं जिनसे उनका मनोबल भी कमज़ोर हुआ है |
आशा है आप समझेंगे कि इन लोगों के ज़िन्दगी को सीधा खतरा है | कृपया इस जानकारी को साझा करें जिससे न्याय की प्रक्रिया को मजबूती मिले |
ये आर्टिकल सामजिक कार्यकर्ता गुफरान सिद्दीकी की फेसबुक वाल से लिया गया है