सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एएमयू में खुशी की लहर है।
एएमयू का नाम बदलने के लिए रुद्र विक्रम सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल ने सुनवाई करते हुए रुद्र विक्रम की इस याचिका को खारिज कर दिया।

एएमयू छात्रसंघ अध्यक्ष सलमान इम्तियाज और सचिव हुजैफा आमिर ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कहा जो लोग देश में नाम बदलने की राजनीति कर रहे हैं, यह फैसला उनके मुंह पर तमाचा है। जनता ऐसे लोगों को 2019 के चुनाव में सबक सिखाएगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार सालों में जो एक मजहब को टारगेट कर उसे बदनाम करने का काम किया जा रहा है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एएमयू के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने भी कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलने की मांग कैंपस में जिन्ना की तस्वीर वाले विवाद के बाद उठी थी। हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने इस विवाद में कूदते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रखने की मांग की थी।

उन्होंने रेवाड़ी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जिस जिन्ना ने देश का बंटवारा किया है, उसकी तस्वीर कॉलेज में लगा रखी है और जिस राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने कॉलेज बनाने के लिए ज़मीन दान में दी, उनकी कोई फोटो या कोई नाम नहीं है।
हाल के दिनों में देखा गया है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बहुसंख्यक हिंदुओं को लुभाने के लिए कई ऐसी जगहों के नाम बदले हैं जिनके नाम मुग़ल बादशाहों या विदेशी नेताओं के नाम पर रखे गए थे।
इनमें मुग़लसराय रेलवे स्टेशन और इलाहाबाद ज़िले का नाम प्रमुख है। योगी सरकार ने पिछले साल मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयान उपाध्याय रख दिया और इलाहाबाद ज़िले का नाम बदलकर प्रयागराज रख दिया था। इन नामों को बदले जाने के बाद कई और जगहों के नाम बदलने की मांग भी की गई है।