अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा हमेशा से ही भारतीय जनता पार्टी का पसंदीदा राजनीतिक मुद्दा रहा है। जिसके जरिये पार्टी जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर वोट बटोरती आई है। अब इस मामले में हिंदूवादी संगठनों द्वारा यह मांग उठाई जा रही है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अगर बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हो नहीं करवाया तो उन्हें इसके दुष्प्रभाव का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
गौरतलब है कि हिंदूवादी संगठनों द्वारा कही गई बात बीजेपी के लिए एक चेता!वनी के तौर पर देखी जा रही है। अब इस मामले में नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी बड़ा बयान दिया है। आपको बता दे कि पर बुलाने भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को जल्द सुलझाने की वकालत की है।

उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा है कि इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। इसे कोर्ट में जीतने की कोई जरूरत नहीं है इसके साथ ही फारुख अब्दुल्ला ने कहा है कि भगवान राम के साथ किसी का भी डर नहीं है और ना ही होनी चाहिए। कोशिश करनी चाहिए इसे सुलझाने की और बनाने की। जिस दिन ऐसा होगा मैं भी अयोध्या में एक पत्थर लगाने जाऊंगा।
उन्होंने कहा है कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हैं। इसके साथ ही फारुख अब्दुल्ला ने इस बात पर भी जोर दिया है कि इस विवाद से जुड़े सभी पक्ष एक साथ बैठकर टेबल पर बातचीत करें और इसका हल निकाले।

आपको बता दें कि आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। महज 60 सेकंड की सुनवाई में कोर्ट ने अगली तारीख 10 जनवरी तय कर दी। अब मामले के संबंध में नई बेंच तय करेगी कि इसकी सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस केस में देरी को लेकर कई हिंदूवादी संगठन सवाल उठा चुके हैं।