मध्यप्रदेश विधान सभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को करारा झटका दिया है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कांग्रेस नेता और प्रदेश प्रवक्ता के के मिश्रा के खिलाफ दर्ज मानहानि के केस को खारिज कर दिया है। इससे पहले इस मामले में राज्य की निचली अदालत ने के के मिश्रा को पिछले साल दो साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ उन्हें 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया था।
सजा सुनाए जाने के 10 मिनट बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी। के के मिश्रा बाद में इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे थे। यह मामला साल 2014 का है, जब एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर 21 जून, 2014 को के के मिश्रा ने आरोप लगाया था कि व्यापमं घोटाले में सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनके परिजनों का हाथ है।
उन्होंने कहा था कि सीएम के ससुराल गोंदिया से 19 परिवहन निरीक्षकों की भर्ती हुई है। उन्होंने इस बारे में आरोप लगाया था कि इस भर्ती में सीएम शिवराज सिंह की पत्नी द्वारा व्यापमं के आरोपी नितिन महिन्द्रा समेत अन्य को 129 फोन कॉल किए गए थे। इसके बाद 24 जून, 2014 को मुख्यमंत्री की तरफ से भोपाल की अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था।
इसके बाद करीब साढ़े तीन साल तक सुनवाई करने और सीएम समेत दोनों पक्षों का बयान दर्ज करने के बाद भोपाल के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पिछले साल 17 नवंबर को केके मिश्रा को मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी और 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया था।