तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान ने सीरिया युद्ध में छतिग्रस्त हुई मस्जिदों का पुनर्निर्माण करने का बड़ा फ़ैसला लिया है। तुर्की के इस फैसले की दुनियाभर में तारीफ़ हो रही है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, तुर्की के राज्य संचालित प्रेसीडेंसी ऑफ रिलिजनियस अफेयर्स से जुड़ी एक गैर-लाभकारी संस्था दीनबेट फाउंडेशन सीरिया में चल रहे युद्ध के दौरान छतिग्रस्त हुए तमाम धार्मिक स्थानों का दोबारा से निर्माण कराएगी। पुनर्निर्माण कराए जाने वाले स्थानों में मस्जिद और मदरसे प्रमुख हैं।
खबरों के मुताबिक, सीरिया में धार्मिक स्थानों के पुनर्निर्माण संस्था 1.61 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च करेगी। बता दें कि सीरिया में लंबे समय से जारी युद्ध में भरी नुकसान हुआ है। युद्ध में हो रही बमबारी से कई शहरों की बड़ी-बड़ी इमारतें पूरी तरह से ज़मींदोज़ हो चुकी हैं। इसके साथ ही देश की कई मस्जिदों को भी नुकसान हुआ है। ऐसे में तुर्की सरकार का मस्जिदों के पुनर्निर्माण का फैसला काबिले तारीफ़ है।
ये पहली बार नहीं है जब तुर्की मुसलमानों की मदद के लिए सामने आया है। इससे पहले भी तुर्की ने मुसलमानों की मदद के लिए कई ऐसे कदम उठाए हैं।पिछले साल रोहिंग्या संकट के समय भी तुर्की ने बंगलादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए मदद का हाथ बढ़ाया था। तब राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान ने बंगलादेश सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों का ख्याल रखने के लिए आर्थिक मदद की थी। तुर्की ने सीरिया में शांति स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई है।
तुर्की ने सीरिया में बागी ताकतों से लड़ने के लिए 2016 में फ्री सीरियाई सेना (एफएसए) के साथ ऑपरेशन यूफ्रेट्स शुरू किया था। ऑपरेशन के नतीजे में करीब 3,000 उपद्रवियों को सीरिया से खदेड़ दिया था और उत्तरी सीरिया में 2,000 किलोमीटर-वर्ग क्षेत्र को जारब्बलस, दबीक और अल-बाब समेत मुक्त कर दिया था। तुर्की लगातार सीरियाई सेना के साथ मिलकर सीरिया में शांति सथापित करने की कोशिश में लगा हुआ है।