आगामी लोकसभा 2024 के चुनावों से पहले सभी दल कमर कस लिए हैं। जहाँ इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लोकसभा का फाइनल माना जा रहा है तो दूसरी तरफ सभी सेक्युलर विपक्षी दल विभिन्न राज्यों में मुस्लिम वोटर्स को रिझाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। सभी मुस्लिम वोट प्राप्त करने के लिए अलग अलग तरह का कार्यक्रम चला रहे हैं परन्तु कई ऐसे राज्य हैं जहाँ मुस्लिम वोटर्स होने के बाद भी वहां से कोई मुस्लिम सांसद नहीं है। आइये इमरान अंसार के रिपोर्ट से पूरे समीकरण को जानने की कोशिश करते हैं।
अगर मैं मौजूदा लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की बात करों तो ज्यादातर सांसद कुछ सिलेक्टेड राज्यों से ही आते है। जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, केरल, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और तेलंगाना के सांसद शामिल हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों में जहां मुस्लिम आबादी ठीक ठाक है वहां पर कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं है।
इस पूरे मुद्दे को मिसाल के साथ समझने की कोशिश करते हैं
कर्नाटक जहां 13 फीसदी मुस्लिम आबादी है और 40 से ज्यादा विधानसभा के चुनावी नतीजों को मुसलमान प्रभावित करते है वहां से एक भी सांसद नहीं है। ऐसे ही 9 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले राज्य राजस्थान से भी जीरो मुस्लिम सांसद है। गुजरात जहां मुसलमान आबादी 10% और 34 सीटों के चुनावी नतीजे सीधे तौर पर मुसलमान प्रभावित करता है वहां से भी कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं है।
मध्य प्रदेश जहां पर 6.5 फीसदी मुस्लिम आबादी है और भोपाल व् बुरहानपुर में अच्छी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद कोई भी मुस्लिम सांसद नहीं है। झारखंड की 15 फीसदी मुस्लिम आबादी के बावजूद भी केवल 2 विधायक और जीरो सांसद हैं। महाराष्ट्र और तेलंगाना भी ठीक ठाक मुस्लिम आबादी वाले राज्य हैं इसके बावजूद भी दोनों राज्यों से केवल AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज़ जलील ही सांसद हैं। अपनी राजनीतिक भागीदारी के मामले मुस्लिम समुदाय को ठहर कर सोचने और प्रेशर पॉलिटिक्स के साथ सही राजनीतिक कदम उठाने की सख्त जरूरत है।