दिल्ली में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदल दिया गया है। इसका नाम अब प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड सोसाइटी होगा। गुरुवार शाम NMML सोसायटी की एक बैठक हुई थी और इसमें नाम बदलने का निर्णय लिया गया। बता दें कि NMML सोसायटी के उपाध्यक्ष राजनाथ सिंह हैं और उन्होंने बैठक की अध्यक्षता की थी।
एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। साल 1948 में जब पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो तीन मूर्ति भवन उनका आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है। 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का खजाना घर रहा है। अब से इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि जो लोग स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू के योगदान को खत्म करना चाहते हैं, उन्हें नेहरू की सोच को समझने के लिए डिस्कवरी ऑफ इंडिया और विश्व इतिहास की झलक किताब पढ़नी चाहिए। मनीष ने कहा कि इमारतों का नाम बदलने से विरासत नहीं मिटती।
गौरतलब है कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से कई जगहों के नाम बदले गए हैं। इससे पहले मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया गया था ये गार्डन राष्ट्रपति भवन के सामने है। मुगल गार्डन का नाम बदले जाने पर काफी सियासी हाय-तौबा मची थी। कांग्रेस ने नाम बदलने को इतिहास मिटाने की ओर कदम बताया था।