सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाई है। गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कार और उनके परिवार के लोगों की हत्या के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस केम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने सरकार के फैसले पर तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।
अदालत ने कहा कि जब ऐसे जघन्य अपराध जो कि समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित करते हैं, उसमें किसी भी शक्ति का इस्तेमाल करते समय जनता के हित को दिमाग में रखना चाहिए है। कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार ने राज्य के फैसले के साथ सहमति व्यक्त की है तो इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार को अपना दिमाग लगाने की आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा कि एक झटके में 15 जिंदगियां बर्बाद हो गईं। जिस तरह से अपराध किया गया वह भयानक है। उम्रकैद के दौरान भी इनमें से हर दोषी को 1000 दिन से अधिक का पैरोल मिला तो एक को तो 1500 दिन से भी ज्यादा दिन का मिला। कोर्ट ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि जब आप शक्ति का प्रयोग करते हैं तो उसे जनता की भलाई के लिए होना चाहिए। आप जो भी हों, आप कितने भी ऊंचे या बड़े क्यों न हों लेकिन आपका काम विवेकपूर्ण और तर्क सम्मत होना चाहिए। यह जनता की भलाई के लिए होना चाहिए
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बार बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार उम्रकैद के दोषियों की समय पूर्व रिहाई के दस्तावेज रिकॉर्ड हमारे सामने नहीं ला रही है। यदि आप हमें फाइल नहीं दिखाते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकालेंगे। साथ ही यदि आप फ़ाइल प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो आप कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। ऐसे में हम स्वत: ही संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू कर सकते हैं।