चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र के पूर्व CM उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए घातक है। केंद्र सरकार की दादागिरी चल रही है। उन्होंने कहा कि निर्णय बहुत ही अनअपेक्षित है। हमारी यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में है।
उद्धव ठाकरे ने कहा, इन्हें तो सुप्रीम कोर्ट के जज चुनने का भी अधिकार चाहिए। आज का चुनाव आयोग का फैसला अत्यंत अनपेक्षित है क्योंकि लगभग छह महीने तक हम इस मुद्दे पर लड़ रहे हैं। हमारी मांग थी कि जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक चुनाव आयोग कोई फैसला न दे। पार्टी किसकी है, अगर यह निर्वाचित विधायकों के आधार पर तय होगा, तो संगठन का क्या अर्थ है।
उद्धव ठाकरे खेमे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश करते हुए नबाम रेबिया जजमेंट केस का हवाला देते हुए मामले को सात जजों की बेंच को रेफर करने की अपील की थी। पिछली सुनवाई में भी सिब्बल ने सात जजों के पास केस को रेफर करने की मांग की थी।
बता दें कि शुक्रवार को शिवसेना विधायकों के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे बड़ी बेंच के पास भेजे जाने से इनकार किया है। पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। इनमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। अब 21 फरवरी से उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के दावे पर मेरिट के आधार पर सुनवाई होगी।