पिछले दिनों महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण को लेकर जैसा विरोध प्रदर्शन देखा गया, उससे यही जाहिर हुआ कि खेल के मैदान में महिलाओं के सामने कई तरह की अड़चनें खड़ी हैं।
हाल में कुछ महिला खिलाड़ियों या प्रशिक्षकों की ओर से यौन शोषण की शिकायतों से उठा मसला अभी किसी हल तक नहीं पहुंचा है कि अब दिल्ली में एक कबड्डी खिलाड़ी ने अपने प्रशिक्षक पर बलात्कार और भयादोहन का आरोप लगाया है।
पुलिस के पास दर्ज मामले के मुताबिक एक महिला खिलाड़ी का कहना है कि उसका प्रशिक्षक न सिर्फ सात साल से बलात्कार कर रहा है, बल्कि उसने धमकी देकर उससे काफी धन भी ऐंठ लिए। गौरतलब है कि पीड़ित महिला एशियाई खेलों में देश के लिए रजत पदक जीतने वाली कबड्डी टीम की खिलाड़ी रही है।
आम आपराधिक मानसिकता वाले व्यक्ति की महिलाओं के खिलाफ हरकतें छिपी नहीं हैं, लेकिन खेलों की दुनिया में इस तरह की घटनाएं ज्यादा शर्मनाक हैं। सवाल है कि प्रशिक्षक जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को ताक पर रख कर कोई व्यक्ति महिलाओं के खिलाफ अपराधियों जैसी हरकतें कैसे करने लगता है!
महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। कई बार हालात की जटिलता की वजह से कुछ महिलाएं अपने शोषण के • खिलाफ बोल भी नहीं पातीं। यह कोई छिपी बात नहीं है कि महिलाओं का घर की दहलीज से बाहर निकल कर पढ़ना-लिखना और उससे आगे खेलों की दुनिया में अपनी जगह बनाना आज भी किस तरह की चुनौतियों से घिरा हुआ है । होना यह चाहिए था कि अगर कोई लड़की किसी खेल में अपनी काबिलिय साबित करना चाहती है तो उसका हौसला बढ़ा कर न सिर्फ बेहतरीन प्रशिक्षकों के जरिए उसकी प्रतिभा को निखारा जाए, बल्कि देश और समाज के हक में भी उसे एक उदाहरण बनाया जाए। लेकिन अफसोसनाक यह है कि एक पारंपरिक ढांचे के समाज में तमाम अड़चनों से निकल कर किसी खेल में अपने और देश के लिए कुछ करने का सपना पालने वाली लड़की का अपराधी कई बार उसका प्रशिक्षक ही निकल जाता है। जिसके भरोसे कोई लड़की किसी खेल में देश को एक नई ऊंचाई देना चाहती है, वही प्रशिक्षक उसके व्यक्तित्व और सपने को छिन्न-भिन्न कर डालता है।
सही है कि खेलों की दुनिया में सभी लोग ऐसी आपराधिक मानसिकता वाले नहीं होते। ऐसे प्रशिक्षकों की लंबी सूची है, जिनके निर्देशन और सहयोग के बूते बहुत सारी महिला खिलाड़ियों ने दुनिया भर में अपनी काबिलियत साबित की है। मगर इसी बीच कुछ प्रशिक्षकों की आपराधिक हरकतों की वजह से किसी महिला खिलाड़ी के टूट जाने की खबरें भी आती हैं। हाल ही में कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोपों के अलावा हरियाणा में खुद खेलमंत्री के एक महिला प्रशिक्षक से अवांछित बर्ताव की जैसी खबरें आई, वे बताती हैं कि खेलों के शासकीय तंत्र में व्यापक सुधार की जरूरत है।
खासकर अगर कोई व्यक्ति महिला खिलाड़ियों के प्रशिक्षण जैसे जिम्मेदारी से भरे काम में लगाया जाता है तो क्षमताओं के साथ-साथ उसकी मानसिकता, प्रवृत्ति और कुंठाओं आदि की जांच-परख भी होनी चाहिए। महिला खिलाड़ियों के किसी भी तरह के शोषण की आशंका तक की स्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। वरना बहुस्तरीय बाधाओं को पार कर किसी खेल के मैदान में आई और इसमें ऊंची उड़ान का सपना देखने वाली लड़कियों का रास्ता मुश्किल बना रहेगा।