भारत ने एक बार फिर इंटरनेट की दुनिया में बढ़ते जोखिम के मद्देनजर बड़ी कार्रवाई करते हुए यह सख्त संदेश दिया है कि अगर आधुनिक तकनीकी के नाम पर धोखाधड़ी या ठगी जैसी अवांछित गतिविधियां चलाई जाएंगी तो उसे निर्बाध नहीं छोड़ा जा सकता।
यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि स्मार्टफोन या टैब के जरिए कुछ सुविधाओं के लिए लोग अलग-अलग ऐप के इस्तेमाल पर निर्भर होते जा रहे हैं। मगर सुविधा के साथ-साथ कई ऐप आज टगी और धोखाधड़ी का भी हथियार बन रहे हैं। इस तरह के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के मद्देनजर इनसे सावधान रहने और बचने की सलाह तो दी जा रही थी, मगर जागरूकता की कमी की वजह से कई लोग इसके शिकार हो जाते थे।
ऐसे ज्यादातर ऐप चीन में बनाए गए और वहीं से संचालित भी होते हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने इस बार दो सौ बत्तीस चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देकर यह बताने की कोशिश की है कि अगर तकनीकी को फर्जीवाड़े का हथियार बनाया जाएगा तो ऐसा करने के लिए उसे खुला नहीं छोड़ा जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले भी सरकार कई चरणों में चीन आधारित ऐप पर पाबंदी लगा चुकी है, ताकि इनके जरिए अवांछित गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। लेकिन इंटरनेट की दुनिया इतनी विस्तृत है कि धोखाधड़ी करने वाले कोई नया चोर दरवाजा तलाश लेते हैं। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सरकार ने इस बार जिन दो सौ बत्तीस ऐप पर पाबंदी लगाने का आदेश जारी किया, उनमें एक सौ अड़तीस सट्टा लगाने वाले और चौरानबे ऋण देने के नाम पर अपना कारोबार चला रहे थे।
ऋण देने वाले ऐप के जरिए लोगों को मामूली दर पर पैसा मुहैया कराया जाता है, मगर किसी ग्राहक के इस जाल में फंसने के बाद उनसे तीन हजार फीसदी तक ब्याज की रकम वसूली की जाती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने में सक्षम नहीं होता तो उसे कई तरह से परेशान किया जाता है। ऐसी अनेक खबरें आ चुकी हैं, जिनमें इन ऐप के जरिए कर्ज के जाल में फंसे कुछ व्यक्तियों ने आत्महत्या तक कर ली। इसके अलावा, कई ऐप का बेजा • इस्तेमाल जासूसी और झूठा प्रचार के तौर पर भी किए जाने की आशंका खड़ी हो रही थी। इनसे भारतीय नागरिकों की निजी जानकारियों या डेटा की सुरक्षा पर जोखिम पैदा हो सकता था।
जाहिर है, ये ऐप एक तरह देश में अस्थिरता पैदा करने के लिहाज से भी खतरनाक साबित हो सकते थे। दरअसल, आधुनिक तकनीकी और विज्ञान ने मनुष्य के जीवन को आसान और बेहतर गुणवत्ता से लैस किया है। लेकिन यह भी हुआ है कि इसके इस्तेमाल के साथ कई तरह के जोखिम भी सामने आए हैं। खासतौर पर जिस तरह की तकनीकी ने अपने विस्तार के साथ आम लोगों तक पहुंच बनाई है, उसी अनुपात में उनके उपयोग को लेकर जागरूकता और प्रशिक्षण का स्तर अभी काफी कम है।
उदाहरण के लिए स्मार्टफोन संवाद के अलावा कई तरह के काम की सुविधा और गुणवत्ता के लिए एक बेहतर तकनीक है। लेकिन इसमें अलग- अलग ऐप के रूप में रोज जुड़ रही नई सुविधाएं प्रथम दृष्टया बेहद उपयोगी लगती हैं, मगर उनका उपयोग जोखिम भी साथ लाता है। पिछले कुछ समय से इन ऐप का इस्तेमाल करने वाले बहुत सारे लोग विभिन्न रूपों में धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। इसलिए सरकार ने चीन में तैयार ऐप पर पाबंदी का आदेश दिया है तो इसे भारत में आम लोगों के हित में लिया गया फैसला कहा जा सकता है।