जामिया हिंसा मामले में आरोपी शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को बरी कर दिया। CAA विरोधी प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच झड़प के बाद हिंसा भड़क गई थी। इस मामले में शरजील और तन्हा को आरोपी बनाया गया था।
कोर्ट ने शनिवार को कहा कि दिल्ली पुलिस हिंसा के ‘असली गुनहगारों’ को पकड़ने में नाकाम रही। अदालत ने कहा कि पुलिस ने ‘उन्हें (आरोपियों) को बलि का बकरा जरूर बना दिया।’ अभियोजन पक्ष को फटकार लगाते हुए ऐडिशनल सेशंस जज अरुल वर्मा ने कहा कि पुलिस ने मनमाने तरीके से, प्रदर्शनकारी भीड़ में से जिसे चाहा उसे उठा लिया। कुछ को आरोपी बनाया और बाकी पुलिस के गवाह बने।
आसिफ ने कहा कि जज ने हम सभी 13 स्टूडें को साकेत कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया है, जज ने कहा कि पुलिस की तरफ से जो भी आरोप लगाए गए, वो सभी बेबुनियाद है। इस मामले में पुख्ता सबूत नहीं है। बस एक आरोपी जिसका जिक्र पुलिस ने किया है कि उसने टायर जलाया। उसपर सिर्फ उसी चीज में चार्ज लगाए जाएंगे बाकि सभी को सभी धाराओं से आरोप मुक्त कर दिया है जिसमे शरजील इमाम शामिल है।
साल 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध-प्रदर्शन के दौरान जामिया यूनिवर्सिटी के बाहर और शाहीनबाग इलाके में प्रदर्शन हुआ था। आरोप के मुताबिक, शरजील पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई संदिग्ध आरोपियों के संपर्क में था और वो इस संस्था का सहारा लेते हुए एक विशेष धर्म संप्रदाय से जुड़े हजारों लोगों को बरगलाने की कोशिश में जुटा हुआ था।