सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दिया है। इस याचिका में बिलकिस बानो ने मई में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 के जेल नियमों के तहत 11 दोषियों की रिहाई के लिए अनुमति दी थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया था। बिलकिस बानो की ओर से पेश वकील शोभा गुप्ता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले पर सुनवाई के लिए एक अन्य पीठ का गठन किए जाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि, गुजरात सरकार की सिफारिश के बाद 2002 में बिलकिस बानो से दुष्कर्म के बाद उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी पाए गए इन 11 लोगों को मुंबई की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद ऊपर की अदालतों ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। गुजरात सरकार की माफी नीति के अनुसार सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके खिलाफ बिलकिस बानो ने समीक्षा याचिका दायर की थी। आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया।
बता दें कि इससे पहले बिलकिस बानो ने कहा था कि उनके और उनके परिवार के सात लोगों से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया है।