मनरेगा जिसका पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है। मनरेगा भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जो देश में ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने का प्रयास करती है। मनरेगा का उद्देश्य वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन रोजगार प्रदान करना है।
यह विश्व की एकमात्र ऐसी योजना है जो रोजगार की गारंटी देती है और नौकरी न मिलने की स्थिति में लाभार्थी बेरोजगारी भत्ते का दावा कर सकते हैं। देश के गरीब और बेरोजगार परिवार अपनी आजीविका के लिए इस योजना का लाभ उठा रहे है। ऐसे कमजोर आय वर्ग के लोगों को उनके ही ग्राम पंचायत में रोजगार दिया जाता है, इससे पलायन की समस्या को भी काफी हद तक रोका जा सका है। इस योजना को 2006 में UPA सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था और उस समय इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के नाम से जाना जाता था।
मनरेगा दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है जिसने ग्रामीण श्रम में एक सकारात्मक बदलाव को प्रेरित किया है। आँकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम के शुरुआती 10 वर्षों में कुल 3.14 लाख करोड़ रुपए खर्च किये गए।
इस कार्यक्रम ने ग्रामीण गरीबी को कम करने के अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हुए यकीनन ग्रामीण क्षेत्र के लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की है।
आजीविका और सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से मनरेगा ग्रामीण गरीब महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु एक सशक्त साधन के रूप में सामने आया है। आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में मनरेगा के माध्यम से उत्पन्न कुल रोज़गार में से 56 प्रतिशत महिलाओं के लिये था।