मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा खुलासा किया है और कहा है कि मैंने तो अगस्त में ही सोनिया गांधी से अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान से मेरा अटूट प्रेम है और हमेशा रहेगा। दिल्ली जाने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है, अब नई पीढ़ी को भी मौका मिलना चाहिए।
यूँ तो अशोक गहलोत को सियासत का जादूगर का कहा जाता है। अब जबकि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे हैं, उनका जादू कितना बरकरार रह पाता है यह देखने वाली बात होगी। असल में गहलोत एक तरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दौड़ में शामिल हैं, वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के सीएम की कुर्सी का मोह भी छोड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में अगर राजस्थान में कांग्रेस किसी भी तरह से कमजोर होती है तो यह गहलोत की राष्ट्रीय अध्यक्ष की दावेदारी पर भी सवाल खड़ा करेगा।
गौरतलब है कि अशोक गहलोत सीएम के साथ पार्टी अध्यक्ष पर भी बने रहना चाहते हैं, मगर राहुल गांधी कह चुके हैं कि कांग्रेस में एक नेता एक पद के सिद्धांत को लागू किया जाएगा। इस वजह से अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बने तो उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ सकता है। राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते हैं। अशोग गहलोत यह कतई नहीं चाहते हैं कि उनके विरोधी सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी मिले।