नई दिल्ली: बिहार में जेडीयू से झटका मिलने के बाद अब बीजेपी एनडीए का दायरा बढ़ाने के लिए नए सिरे से सहयोगी दलों को जुटाएगी, इसके लिए वह नर्म रुख अपनाने से भी गुरेज नहीं करेगी।
पहला कदम बिहार से ही उठाया जाएगा, पार्टी यहां विभाजित लोजपा को फिर एकजुट करने की कोशिश करेगी, महाराष्ट्र के घटनाक्रम से निराश विपक्षी खेमे को बिहार ने नया हौसला दिया है।
जेडीयू के साथ आने से लोकसभा में सरकार का विरोध करने वाले सदस्य पहली बार 100 के पार निकल गए हैं।
मिशन 2024 में जुटी विपक्षी पार्टियों में उत्साह के 3 कारण है….
यूपीए-एनडीए के घटक दल अब 16-16 हो गए हैं। लोकसभा में 10 दल ऐसे हैं, जो न यूपीए में हैं, न ही एनडीए में, मुखर क्षेत्रीय नेता भी बढ़कर 8 हो गए हैं।
विपक्ष का फोकस दक्षिण-पूर्वी राज्यों की 196 सीटों पर है, केरल में वामदल और कांग्रेस मजबूत हैं। भाजपा मुकाबले में नहीं है, विपक्ष इन्हीं इलाकों में मजबूत होने की तैयारी में है।
छोटे दलों का दबदबा कम, पर एनडीए का वोट शेयर बढ़ा था:
सूत्रों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में 35 राज्यों में से 17 में बीजेपी करीब 50% वोट पाने में सफल रही थी, UP में 49.6% वोट हासिल करने में अपना दल (एस) की अहम भूमिका रही।
झारखंड में आजसू, महाराष्ट्र में शिवसेना, असम में एजीपी और उत्तर-पूर्व में NPF, MNF, BPF, SKM, IPFT जैसे दलों के गठजोड़ से बीजेपी को बड़ी सफलता मिली।
इन दलों का दबदबा सीटों के लिहाज से कम या नहीं है, लेकिन बीजेपी को जिताने में इनके वोट अहम हैं, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि महाराष्ट्र में शिंदे गुट साथ है ही।
शेतकारी किसान संगठन, कर्नाटक में JDS, केरल में भारतीय जनसेना, आंध्र में TDP, पंजाब में अकाली जैसे दलों से गठबंधन को लेकर दोबारा बातचीत शुरू की जा सकती है।