यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं. जिससे दुनिया में रुस के तेल के खरिदारों की संख्या कम हो गई जिससे रुस को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन रुस ने इसका ऐसा तोड़ निकाला की अमेरीका के खाड़ी के सहयोगी और दूसरे गच्चा खा गए.
रुस ने प्रतिबंधों को तोड़ सस्से तेल की सप्लाई से निकाला। उसनें भारत समेत दुनिया के कई देशों को अतरराष्ट्रिय मार्केट वैल्यू से 30प्रतिशत कम कीमत में तेल देने लगा. रुस की तरफ से दिया जाने वाला यह छूटकाफी बड़ा था. इसका असर भी हुआ. वह अमेरिका जो रुस पर प्रतिबंध लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था को चौपट करना चाह रहा था वह गच्चा खा गया और रुस की अर्थव्यवस्था पहले से मजबूत हो गई.
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रुस से तेल नहीं खरिदने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारत पर दबाव बनाया, लेकिन वह दबाव काम नहीं किया और इसी दबाव के बीच अब भारत ने रूस के साथ रुपये में कारोबार करने की योजना बनाई है.
अंग्रेजी अखबार ब्लूमबर्ग के अनुसार भारत ने रूस से रुपये में तेल और हथियारों की खरीद की बात रखी है. भारत की रूस के सरकारी नियंत्रण वाले वीटीबी बैंक पीजेएससी और सबरबैंक पीजेएससी में जमा लगभग दो अरब डॉलर के इस्तेमाल की योजना है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स ने बताया कि इस योजना को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. रूस के वरिष्ठ अधिकारी इस हफ्ते भारत आ रहे हैं. उम्मीद है कि इस दौरान योजना को हरी झंडी दिखा दी जाए.
पहले सही साबित नहीं हुआ है फैसला
इससे पहले दोनों देशों ने रुपये-रूबल के तहत व्यापार करना शुरू किया था, जो रूस की मुद्रा रूबल में अत्यधिक अस्थिरता की वजह से कारगर साबित नहीं हो पाया.
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रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के बैंक खातों में जमा धनराशि साल के अंत तक बढ़कर पांच अरब डॉलर हो सकती है. यह बशर्ते इस पर निर्भर करता है कि भारत कितना उत्पाद खरीद रहा है.
यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे रूस का तेल सस्ता हो गया था. इसी सस्ते तेल का लाभ उठाने के लिए मोदी सरकार ने तेल के आयात पर लगी पाबंदी हटा दी है. इस दिशा में मोदी सरकार एक मैकेनिज्म को अंतिम रूप देना चाहती है.
जानकारों को कहना है कि रूस के सस्ते तेल से भारत को मदद मिल सकती है. मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा 6.61 अरब डॉलर का रहा. दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 13.1 अरब डॉलर का है.
भारत, रूस के हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार है. इसी वजह से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया लगातार भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूस का तेल नहीं खरीदे.
बता दें कि भारत एकमात्र एशियाई देश नहीं है जो रूस का तेल खरीद रहा है. चीन रूस का तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार है.