चेहरे पर जोश और खुशी, हाथों में तिरंगा और मुट्ठी लहराते, विजय का निशान दिखाते ढेर सारे उत्साहित चेहरे, ये तस्वीर दो दिन से भारत के लाखों-करोड़ों लोगों ने देखी है। अपनी दुख-तकलीफों के भारी क्षणों में इस एक तस्वीर ने उन्हें मुस्कुराने का हौसला दिया है। और ऐसा क्यों न हो, भारत विश्वविजेता जो बना है। जी हां भारत की पुरुष बैडमिंटन टीम ने रविवार को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में इतिहास रच दिया है। बैंडमिंटन के सबसे प्रतिष्ठित मुकाबले थॉमस कप का खिताब जीतकर भारतीय टीम ने अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा लिया है। यह जीत वैसी ही है, जैसे 1983 में क्रिकेट विश्व कप कपिल देव की कप्तानी में भारत ने अपने विजयी हाथों से उठाया था।
ज़रा सोचकर देखिए कि अगर भारतीय टीम फीफा वर्ल्ड कप जीते या फिर विंबलडन में जीत हासिल करे, तो उसकी खुशी कितनी निराली होगी। ठीक वैसा ही उत्साह औऱ रोमांच थॉमस कप जीतने पर हो रहा है। क्योंकि ये जीत मामूली नहीं है। भारत ने 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर पहली बार थॉमस कप का ख़िताब जीता है। इससे पहले 1979 में प्रकाश पादुकोण की अगुवाई में भारतीय टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। हालांकि तब प्रकाश पादुकोण को डेनमार्क के स्वेंद प्री से हार मिली थी। सेमीफाइनल से फाइनल तक का ये सफर तय करने में 43 बरस लग गए। इतने लंबे सफ़र और इंतज़ार का फल आख़िर मीठा ही निकला।
सेमीफाइनल में भारत के एस.एच. प्रणय का मुकाबला डेनमार्क के विक्टर एक्सेसन से था। मुकाबला बराबरी का चल रहा था। मगर मैच के बीच में प्रणय चोटिल हो गए। उनकी एड़ी में चोट लग गई। वे चाहते तो इस चोट के कारण मैच छोड़कर बाहर निकल सकते थे। लेकिन तब इतिहास बनाने का ख़्वाब भी टूट जाता। आखिरकार प्रणय का जज़्बा उनके दर्द पर भारी पड़ा और उन्होंने एक्सेसन को हरा कर 43 साल पुरानी कसक को बाहर निकाल दिया। सेमीफाइनल से पहले क्वार्टर-फ़ाइनल में प्रणय का सामना मलेशिया के लियोंग जुन हाओ से था। जिसमें प्रणय ने भारत को कड़े मुक़ाबले में 3-2 से जीत दिलाई।प्रणय के अलावा खेलप्रेमियों की निगाहें लक्ष्य सेन पर टिकी थीं। जो इस टीम के सबसे युवा खिलाड़ी थे। अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन का मुकाबला पूरे हफ्ते ऊंची रैंकिंग वाले खिलाडिय़ों से होता रहा और वो फाइनल मैच से पहले तीन मैच हार चुके थे।
फाइनल के पहले मैच में उनका मुकाबला ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता एंथोनी गिन्टिंग से था। मुकाबले की शुरुआत में गिन्टिंग अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नज़र आ रहे थे, क्योंकि लक्ष्य को वे लगातार कोर्ट में यहां से वहां भटका रहे थे। मगर जीतता तो वही है जो लक्ष्य से न भटके और लक्ष्य ने अपने नाम को सार्थक करते हुए कड़े मुकाबले में जीत हासिल की और थॉमस कप के फाइनल में भारत को बढ़त दिला दी। इसके बाद मोर्चा संभाला सात्विक साईराज रानकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी। जिनमें खेल प्रेमियों को टेनिस की महेश भूपति और लिएंडर पेस की जोड़ी नजर आती है। बहरहाल इस जोड़ी ने भी लक्ष्य का कारनामा दोहरा दिया। पहला गेम हारने के बाद उन्होंने अगले दो गेम जीतते हुए फाइनल का स्कोर 2-0 कर दिया। इन दोनों खिलाडिय़ों ने इससे पहले इंडियन ओपन में डबल्स का ख़िताब जीता था।
फाइनल मुकाबले में 2-0 से बढ़त हासिल करने के बाद अब बारी थी निर्णायक मैच की। जिसमें किदांबी श्रीकांत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता जोनाथन क्रिस्टी को सीधे गेम में 48 मिनट में 21-15 23-21 से हराकर भारत को 3-0 की विजयी बढ़त दिला दी। किदांबी श्रीकांत ने इस टूर्नामेंट में अपने छह में से छह मैच जीते। श्रीकांत ने इसे अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में शुमार किया है। उन्होंने कहा ‘मैं इसे अपनी सबसे बड़ी जीत में से एक करार करूंगा और मैं खुश हूं कि प्रत्येक खिलाड़ी बहुत अच्छा खेला। मुझे नहीं लगता कि यह व्यक्तिगत जीत है, यह सभी 10 खिलाडिय़ों की जीत है, जब भी जरूरत पड़ी, प्रत्येक ने योगदान दिया।
वाकई भारत के लिए यह बहुत बड़ी और गौरवशाली उपलब्धि है, क्योंकि भारत ने 14 बार के विजेता इंडोनेशिया को हराया है, जबकि हमने कुल 13 थॉमस कप ही खेले हैं। बैडमिंटन में व्यक्तिगत तौर पर तो कई उपलब्धियां भारतीय खिलाडिय़ों ने हासिल की हैं, लेकिन एक टीम के रूप में यह जीत भारतीय बैडमिंटन के स्वर्णिम दौर की शुरुआत बन सकता है। प्रकाश पादुकोण और नंदू नाटेकर जैसे खिलाड़ियों ने इस खेल में भारतीय प्रतिभा का परिचय वैश्विक मंच पर कराया, जिसे पी.गोपीचंद, साइना नेहवाल, पी.कश्यप, पी.वी सिंधू और ज्वाला गुट्टा जैसे खिलाडिय़ों ने मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। मगर अब निजी उपलब्धियों से आगे बढ़कर एक टीम के तौर पर भारत को जीत दिलवाने का गौरवशाली पल भी देश ने देख लिया है। प्रकाश पादुकोण और गोपीचंद जैसे खिलाडिय़ों ने अपनी अकादमियों में युवा प्रतिभाओं को निखारा है, उसका नतीजा अब सामने आ रहा है।
इस जीत का जिक्र सोशल मीडिया पर खूब हो रहा है और तमाम लोग भारतीय खिलाड़ियों को बधाइयां प्रेषित कर रहे हैं। कई बड़े इनामों और सम्मानों से भी खिलाड़ियों को नवाज़ा जाएगा, तो सही ही है। लेकिन इस जीत की खुशी को ग्लैमर की चकाचौंध से बचाएंगे, तभी आगे भी अच्छे खिलाड़ी तैयार हो पाएंगे।