लोगों के खिलाफ जातियों का इकट्ठा होना,उपद्रव करके यह कहना कि हम देश बदलने चले है।सच यह है कि यह देश बेचने चले है। बेचने वालों को विनोद राय(cag) जैसा अधिकारी मिल जाय तो समझिए कि देश मुकम्मल बिक जाएगा।
विनोद राय जी पर जब नजर डालेंगे तो वे गाजीपुर से चलकर केरल कैडर के आईएएस अधिकारी बनते है।केरल में पामोलीन तेल घोटाला होता है,उस समय करुनाकर जी केरल के मुख्यमंत्री थे,और उन्होंने इन्हें सेवा से मुअत्तल करते हुए जेल भेज दिया था।
बहरहाल अदालत के प्रति पूर्ण सम्मान रखते हुए यह कहने में गुरेज नही है कि भारत मे न्याय बिकता है,और गरीबों को कभी नही मिलता,मिलता भी है तो बड़ी मसक्कत के बाद उस तराजू में फ़ाइल से कई गुना वजन का सामान रखना पड़ता है,भले वह वकील ही ले।
हर अदालत के दरवाजे पर सत्यमेव जयते लिखा रहता है।पर हर अदालत का अर्दली जोर जोर से कहता है कि समरथ के नहीं दोष गोसाई, अर्दली की बात को पेशी पर विनोद राय जी ने सुन लिया और उसका लाभ लेकर अदालत से बरी हो गए।बहरहाल अदालत तो हर सामर्थी, अपराधी को गवाह के अभाव में बरी कर ही देती है।बरी होकर कांग्रेस और करुनाकर से बदला लेने के लिए कैग प्रमुख बनने के लिए दिल्ली आ जाते है।
कैग प्रमुख के पद पर नियुक्ति के लिए मनमोहन सिंह जी कैबिनेट की बैठक कर 3 आईएएस अधिकारियों की कुंडली को खोलते है।आदरणीय विनोद राय पर प्रणव मुखर्जी साहब दबाव बना देते है,कारण तो मुझे मालूम नही पर मनमोहन सिंह जी उस दिन मौन नही रहते है।चुप्पी तोड़ते हुए कहते है कि It is not going to be very fare.
खैर विनोद राय साहब महालेखा नियंत्रक बन जाते है।होशो हवास के साथ कांग्रेस को आकलन के आधार पर चोर साबित करने में लग जाते है,और कर भी देते है।अदालत भी इनका साथ देती है।तमाम सहयोगी दल के नेता व मंत्री तिहाड़ पहुँच जाते है।कांग्रेस देश भर में बदनाम हो जाती है।साक्ष्य और सबूतों के अभाव में तमाम मंत्री व नेता बरी तो हो जाते है,पर बहुत देर हो जाती है।कांग्रेस अपने को संभाल नही पाती है।कांग्रेस के संकट मोचन कहे जाने वाले प्रणव दा भी कांग्रेस को उबार नही पाते है,सम्भवतः प्रधानमंत्री न बन पाने का मलाल रहा हो,
देश विनोद राय के झूठ से लगभग जलने लगा।जमुहरियत ने नए निजाम को जन्म देने का मन बनाने लगी,उधर अन्ना आंदोलन भी आग में घी का काम करने लगा।इधर एक तरफ आदमी अन्ना के नेतृत्व में आंदोलन कर रहा था वहीं दूसरी तरफ आदमी निर्भया नाम की लड़की से बलात्कार ही नही उसके तमाम अंगों को लोहे की छड़ से छेड़छाड़ करते हुए मौत के मुँह में ढकेल दिया।
मुझे याद है कि दिल्ली की कड़कड़ाती सर्द में जनता ने सोनिया गांधी के घर पर हजारों की संख्या में चढ़ाई कर दी,सरकार में रहते हुए बिना लावलश्कर के सोनिया गांधी बाहर आयी और हिम्मत के साथ घर का दरवाजा खोल दिया,आंदोलनकारियों की बात सुनी,चिकित्सा के लिए सिंगापुर तक गयी।
बात बिगड़ती जा रही थी,क्योंकि कांग्रेस के पास कोई जनमानस का नेता नही था।जिसकी अपील कन्याकुमारी से कश्मीर तक हो,चमचा और बिना ज़मीन के नेताओं को आगे बढ़ाकर अपनी कुर्सी तो बचा सकते हो,पर भारत को नही,यहीं कांग्रेस की गलती आज उसे इतने बड़े गढ्ढे में गिरा दी है कि जहाँ से बाहर आना बहुत आसान नही है।
सदियों से सर्वविदित है कि सत्ता षडयंत्र से जन्म लेती है और उसी से चलती है।उसी षडयंत्र से बाहर निकलने के लिए हमारे पुरखो ने लोकतंत्र को लाया,अब उस लोकतंत्र में भी घुन लग गया है।सारे के सारे दल अपराधियों को टिकट दे रहे है और नौजवान हताश और निराश होकर संसद और सड़क को निहार रहा है।भारत बिकेगा की बचेगा यह तो भगवान ही बता सकता है।
सवाल सत्य का होना चाहिये,सवाल देश का होना चाहिए।हम-आप आज है,कल नही रहेंगे,भाजपा कांग्रेस बनती बिगड़ती रहेंगी।देश और देश का लोकतंत्र सुरक्षित होना चाहिये।उस सुरक्षा को विनोद राय जैसे अधिकारियों से लगातार खतरा है।
उस खतरे के खेल में भाजपा भी फंसती जा रही है।उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत है।सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपया लगाकर जयपुर हवाई अड्डे जीर्णोद्धार किया,जीर्णोद्धार कर उसे अडानी के हवाले कर दिया।लोकपाल लाएंगे देश को खुशहाल बनायेगे की गीत गाते गाते लगभग 7 साल हो गए,केजरीवाल जी ने दिल्ली में लोकपाल नही लाया।
साथियों इन ठगों पर जनता ने सदैव भरोसा किया,इन लोगो ने सदैव ठगा है।जिसकी पूछ उठाया वह मादा ही निकला।जिम्मेदारी नौजवानों की है।सवाल पूछने की हिम्मत और जज्बा पैदा करो,अगली क्रांति तुम्हारे स्वागत में खड़ी है।जो संसद में नही सड़क पर सबकी कीमत तय करेगी।