रूस को लगभग वो सब मिल चुका है जो उसे चाहिये था.
इसके आगे की लड़ाई सिर्फ उसकी आत्मघाती सर्वनाशी विस्तारवादी भूख होगी | जो कत्तई दुनिया के हित मे नही है | उसे अब तक जो मिला है –
1 . यूक्रेन ने घोषित कर दिया है कि वह NATO का मेम्बर नही होगा
2 – दोनबास्क रीजन की स्वतंत्रता भी उसने स्वीकार कर ली है और उसके अलावा जिन पूर्वी हिस्सों पर रूस में कब्ज़ा कर लिया है उंस पर भी वह उच्च स्तरीय बात चीत में मान ही जायेगा |
3 – यूक्रेन के नात्सीफिकेशन को भी रूस ने अब neutralize कर दिया है
4 . यूक्रेन को de militarize तो नही लेकिन militarily cripple भी कर दिया है जिससे उबरना रूस के रहमोकरम पर ही सम्भव है |
5 . पुतिन ने NATO की और उससे भी ज्यादा अमेरिका की साख और विश्वस्नीयता को EXPOSE कर दिया है
6 . NATO के भीतर अमेरिकी प्रभुता पर सवाल खड़े कर उसके वर्चस्व को शंका के घेरे में ला खड़ा किया है
7 . तेल और GAS के मामले NATO के अपने CONTRADICTIONS भी उजागर हो गए , उसकी एकता कितनी VULNERABLE है यह भी जाहिर हो गया |
8 . गोर्बाचेव को यह आश्वासन था की नाटो पूर्वी क्षेत्रो में प्रसार नही करेगा उसे क्लिंटन ने 1998 में हंगरी चेक रिपब्लिक और एक अन्य देश को नाटो में जोड़ कर तोड़ा औऱ वह सिलसिला लगातार चलता रहा | इस सिलसिले पर अब रोक लग जायेगी |
9 . रूस और चीन की मैत्री इस युद्ध मे ROCK SOLID हो गई है | यह ROCK SOLID शब्द चीनी विदेशमंत्री के है | यह वक्तव्य अमेरिकी प्रभुता पर सबसे करारा प्रहार है |
जिन्हें यह लग रहा है कि रूस उतनी तेज़ी से यूक्रेन पर कब्ज़ा नही कर पा रहा , जिससे russian military might सन्दिग्ध हो जाती है , सच यह है यह एक भरम है | यह रशियन स्ट्रेटजी है | युद्ध हम आप और पश्चिमी मीडिया कह रहा है मगर पुतिन इसे स्पेशल मिल्ट्री ऑपरेशन बता रहे है और उसी हिसाब से बिहेव कर रहे है | रूस अभी पुरातन टैंकों के बेड़े और सामान्य तोपखाने , बंदूकों और यदा कदा मिसाइल्स का इस्तेमाल कर धीरे धीरे बढ़ रहा है , साथ साथ हफ्ते भर के भीतर ही वार्ता की मेज पर आ गया ताकि मिलिट्री का काम भी चलता रहे और डिप्लोमेसी का भी | यानी सतह पर चीजें युद्ध नही स्पेशल ऑपरेशन जैसी ही दिखें | यदि वह all out युद्ध मे उतरता तो साइबर युद्ध भी होता , हवा से कारपेट बॉम्बिंग भी होती , समुद्र से से भी तटीय प्रदेश ध्वस्त किये जाते यानी अत्याधुनिक तरीके से चौतरफा आक्रमण | जैसे अमरीका ने इराक में किया था | वह ऐसा नही कर रहा तो यह उसकी रणनीति का हिस्सा है क्षमता में कमी नही |
अंत मे मुझे यही लगता है कि रूस को ऑपरेशन रोक कर अब टेबल पर आ जाना चाहिए , वहां चीजें हल हो जाएंगी | अभी उसका हर जगह अपर हैंड है , कियेव पर घेरा पड़ा है खरकीव तबाह हो चुका है , सबसे महत्वपूर्ण पूर्वी पोर्ट ओडिसा भी बचा पाना यूक्रेन के लिए मुश्किल है | यानी यूक्रेन और रूस के बीच भी पुतिन ने एक land का buffer बना ही लिया है | यूक्रेन के आकाश और समुद्र तट दोनों पर फिलहाल रूस का कब्ज़ा है |
ऐसे में जितनी जल्दी यह युद्ध समाप्त हो उतना अच्छा | पुतिन और झेलनस्की दोनों को statesmanship दिखानी चाहिए , झेलनस्की युद्ध उन्मादी राजनीति छोड़े (भीतर से छोड़ चुके है लेकिन बाहर दिखाना मजबूरी है ) और पुतिन विस्तारवादी राजनीति