सोमवार, जून 16, 2025
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
इंग्लिश
उर्दू
विज़न मुस्लिम टुडे
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा
No Result
View All Result
विज़न मुस्लिम टुडे
No Result
View All Result
Home देश

सुभाष के कलकत्ता से निकल जाने के बाद कलकत्ता की गतिविधियां

Muslim Today by Muslim Today
फ़रवरी 6, 2022
in देश
0 0
0
सुभाष के कलकत्ता से निकल जाने के बाद कलकत्ता की गतिविधियां
0
SHARES
27
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

31 जनवरी की रात तक सुभाष, मुहम्मद ज़ियाउद्दीन के भेष में काबुल पहुंच गए थे। पर यह भी उनकी मंज़िल नहीं थी, बल्कि एक पड़ाव था। 16/17 जनवरी की रात उन्होंने कलकत्ता छोड़ा था। नेताजी को गोमो स्टेशन पर छोड़ कर शिशिर अपने भाई अशोक और भाभी मीरा के साथ धनबाद स्थित उनके घर बरारी चले गए और फिर शिशिर दूसरे ही दिन कलकत्ता के लिये बरारी से उसी कार से वापस आ गए।

कलकत्ता जब वे वापस आये तो, एल्गिन रोड वाले घर, जहां नेताजी नज़रबंद थे, सब कुछ सामान्य था। पुलिस तब भी घर के बाहर पहरे पर थी। घर मे सबलोग सामान्य थे। जो नेताजी की योजना के हमराज़ थे, वे चुप तो थे, पर आशंकित भी थे कि, यह रहस्य तो कभी न कभी खुलेगा ही। फरारी भी किसी सामान्य कैदी की नहीं थी। माहौल कुछ कुछ बोझिल था।

घर छोड़ने के पहले सुभाष ने शिशिर से कहा था कि, कम से कम एक सप्ताह तक यह रहस्य बना रहना चाहिए, जिससे उन्हें देश निरापद रूप से छोड़ने का अवसर मिल सके। इस बीच यह भी निश्चित था कि, एक सप्ताह में सुभाष, ब्रिटिश भारत की सीमा से बाहर हो जाएंगे। पर सुभाष को ब्रिटिश भारत की सीमा पार करने में दस दिन लग गए। 26 जनवरी आने वाली थी। सुभाष के एल्गिन रोड वाले घर पर भी स्वतंत्रता दिवस का आयोजन, हर साल की तरह 1941 में भी मनाया जाने वाला था।

उस दिन यदि सुभाष सबके सामने नहीं आये तो, फिर यह कोई विश्वास ही नहीं करेगा कि, सुभाष कमरे में खुद ही कैदे तन हैं और वे उसी स्वाधीनता, के लिये अपना सर्वस्व दांव पर लगा कर प्राणपण से जुटे हैं, उसी के समारोह से खुद को अलग कर लें। यह अविश्वसनीय होता। इसे देखते हुए, फिर एक नाटक रचा गया। नाटक की योजना बनाई सुभाष के बड़े भाई शरत और भतीजे शिशिर ने, जिन्हें सबकुछ पता था, सिवाय इसके कि, सुभाष, इस समय कहां हैं, कैसे हैं, और किस हाल में है।

शिशिर, 18 जनवरी की शाम को कलकत्ता वापस लौट आए थे और उसके दूसरे दिन अपने पिता शरत बोस के साथ, सुभाष के राजनीतिक गुरु देशबंधु चित्तरंजन दास की पोती के विवाह समारोह में सम्मिलित होने गए। सुभाष न केवल, देशबंधु चित्तरंजन दास के राजनीतिक शिष्य ही थे, बल्कि सुभाष की प्रतिभा और प्रशासनिक क्षमता से प्रभावित देशबंधु, सुभाष को पुत्रवत स्नेह भी देते थे।

विवाह समारोह में कलकत्ता के भद्रलोक बांग्ला समाज के लोग आमंत्रित थे, और सबकी जिज्ञासा, सुभाष का स्वास्थ्य और उनका कुशल क्षेम पर केंद्रित था। शिशिर ही सुभाष से रोज मिलते थे तो सारे सवालात उन्हीं से पूछे गये। शिशिर ने बिना झिझके और सकपकाए अपने चाचा के कुशल क्षेम से जुड़े सवालों का उत्तर दिए।

ADVERTISEMENT

26 जनवरी के समारोह की गुत्थियां तो सामने थीं ही, इसी बीच एक और समस्या आ गयी। कलकत्ता की एक अदालत ने 27 जनवरी को, सुभाष बाबू की अदालत में हाजिरी के लिये पुलिस को आदेश जारी कर दिया। अगर बीमारी के बहाने पर 26 जनवरी के समारोह में सुभाष की अनुपस्थिति की बात की भी जाती तो, 27 को फिर क्या जवाब रहता ? पुलिस तब घर के अंदर आती और सुभाष के कमरे में जाती। यदि कहा जाता कि वे बीमार हैं और आराम कर रहे हैं तो, फिर सरकारी डॉक्टर आता। आखिर अदालत को पूरी स्थिति तो बतानी ही पड़ती। 27 जनवरी की तारीख,  सुभाष पर चल रहे राजद्रोह के एक पुराने मामले में पड़ी थी।

जिसमे सुभाष हाज़िर नहीं हो पाए थे। अब चूंकि सुभाष, नज़रबंद हैं और अपने घर पर ही हैं तो अदालत ने पुलिस को उन्हें अदालत में 27 जनवरी को पेश करने का आदेश जारी कर दिया। सुभाष के लापता होने का खुलासा कैसे किया जाना चाहिए, इस पर घर के उन्ही लोगों को, जिन्हें सुभाष की फरारी का राज़ मालूम था, स्पष्ट निर्देश देने के बाद, शरत बोस और शिशिर, जानबूझकर कलकत्ता के बाहर रिशरा स्थित, अपने फार्महाउस के लिए रवाना हो गए और घर पर यह कहा कि, अब वे 25 जनवरी की रात या 26 की सुबह आएंगे।

अचानक सुभाष के कमरे में जो भोजन उन्हें प्रतिदिन दिया जाता था, बिना खाया मिलने लगा। भोजन की थाली जस की तस दरवाजे के अंदर बिना खाये मिलने लगी। सुभाष ने न दिन का भोजन किया न रात का।

दूसरे दिन सुबह जब फिर बिना खाये थाली मिली तो नौकरो  ने हंगामा कर दिया। पल भर मे घर भर में यह बात फैल गयी कि, सुभाष ने एक दिन से खाना नही खाया है। सुभाष के कमरे में इला और द्विजेंन जाते थे। होता यह था कि सुभाष की फरारी की स्थिति में यही दोनों उस भोजन को ग्रहण कर लेते थे, जो सुभाष के लिए भेजा जाता था। सब कुछ तयशुदा स्क्रिप्ट पर ही हो रहा था। अब द्विजेंन सुभाष के कमरे में गया और फिर घबराता हुआ बाहर आया कि, काकू तो कमरे में नहीं हैं। चूंकि शरत और शिशिर दोनों ही बाहर  थे तो सबसे पहले यह बात उन्हें ही बताना जरूरी समझा गया। सुभाष के दो भतीजे शरत को इस बात की सूचना देने के लिये रिशरा निकल गए।

अभी यह खबर घर मे ही थी। बाहर जो पुलिस बैठी थी, वह इस फरारी से फिलहाल बेखबर थी। खबर मिलते ही शिशिर अपने पिता के साथ, वापस कलकत्ता, एल्गिन रोड वाले घर ले आये। अब यह रहस्य सार्वजनिक होना ही था पर कैसे किया जाय यह तो घर के बड़े सदस्य होने के नाते शरत को ही तय करना था। एक ऐसा प्लॉट रचा गया जिसके अनुसार, घर, परिवार के सदस्य और नौकर चाकर भी एक ही बात बोलें, जिससे पुलिस को पूछताछ में परस्पर विरोधी बयान न मिलें। क्योंकि इस फरारी की गहन जांच और पूछताछ तय थी।

इस घटना का सबसे प्रतिकूल प्रभाव सुभाष की माँ प्रभावती पर पड़ा। शरत, शिशिर, इला द्विजेंन तो सारा रहस्य जानते ही थे। वे चिंतित दिख तो रहे थे, पर चिंतित थे नहीं। उनकी चिंता दूसरी थी कि, सुभाष सकुशल ब्रिटिश भारत की सीमा पार कर गए हैं या नहीं। यदि अब सुभाष दुबारा गिरफ्तार होते तो, ब्रिटिश हुकूमत उन्हें देश मे ही नही रखती। या तो वे फिर बर्मा के मांडले जेल, जहां वे एक बार कैद कर के रखे जा चुके थे या अंडमान जेल भेज दिए जाते। पर सुभाष बाबू की मां तो बेहद व्याकुल हो उठीं।

वे इसी व्याकुलता में बीमार होने लगीं। उन्हें व्याकुल और संकट में देख कर, शरत ने बार बार आश्वस्त करने की कोशिश की और एल्गिन रोड वाले घर पर, जहां पुलिस की गतिविधियां कभी भी बढ़ सकती थी और पुलिस कही प्रभावती से न पूछताछ करने लगे, इसे सोच कर वे, सुभाष बाबू की मां को अपने घर वुडबर्न पार्क ले आये। उनके इलाज के लिये डॉक्टर की व्यवस्था कर, वापस एल्गिन रोड आवास पर आ गए। फिर शरत ने, शिशिर को अपनी कार वांडरर से, केवड़ाताला श्मशान और कालीघाट के मंदिर के आसपास के इलाकों में सुभाष की तलाश में भेजा। एक साधू जो भविष्य बताता था, ने बताया कि, सुभाष ने संसार त्याग दिया है। और इसे और पुष्ट करने के लिये रात में देवी पूजा के अनुष्ठान की भी बात की।

26 जनवरी की शाम होते होते पहरे पर बैठे पुलिसकर्मियों को भी सुभाष के लापता हो जाने की खबर लग गयी और उन्हें यह भी खबर लगी की घरवाले सुभाष को आसपास ढूंढ रहे हैं। लेकिन 27 जनवरी 1941 की सुबह, कलकत्ता के दो अखबारों आनंद बाजार पत्रिका और हिंदुस्तान स्टैंडर्ड ने, सुभाष के लापता होने की खबर प्रकाशित कर दी। इससे शहर भर में सरगर्मी बढ़ने लगी। तब खबरों के संचार माध्यम आज की तरह तेज नही थे।

कुछ स्थानीय भाषाओं और अंग्रेजी के अखबार थे जो खबरे दिया करते थे। तभी इस खबर को अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने उठा लिया और उसे दुनियाभर में प्रसारित कर दिया। इस खबर को अभी तक स्थानीय पुलिस दबा कर अपने स्तर से ही सुभाष के बारे मे पता लगाने का प्रयास कर रही थी, पर अखबारों में छपने और रॉयटर्स द्वारा दुनियाभर में फ्लैश कर देने के बाद, यह महत्वपूर्ण खबर गवर्नर और वायसरॉय के संज्ञान में आ गयी जिससे ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। तत्काल पुलिस एल्गिन रोड स्थित सुभाष के घर पर पहुंची और परिवार के सभी सदस्यों और नौकर चाकर से पूछताछ करने लगी।

शिशिर ने उन्हें वे सभी संभावित स्थान जहाँ से सुभाष घर से निकल सकते थे, दिखाया। पुलिस ने अपने खुफिया तंत्र से भी सूचना इकट्ठा करने के लिये कहा। एक रोचक तथ्य, सुगता बोस की पुस्तक, हिज मैजेस्टीज ओप्पोनेंट में अंकित है कि, “एक एजेंट ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस 25 जनवरी को पांडिचेरी के लिए अपना घर छोड़ गए।” अब इस सूचना ने न केवल पुलिस और इंटेलिजेंस विभाग को बहका दिया बल्कि शरत और शिशिर बोस ने यह कह कर के, सुभाष अपने पुराने दोस्त दिलीप कुमार रॉय के संपर्क में आकर आध्यात्मिक हो चले थे, पुलिस के इस भ्रम को और बढ़ा दिया।

प्रथमदृष्टया इसी निष्कर्ष पर पुलिस पहुंची कि, सुभाष ने भी अरविंदो जैसे आध्यात्मिक मार्ग का अनुकरण कर लिया है। अरविंदो घोष जो पॉन्डिचेरी में आध्यात्मिक साधना में हैं, भी पहले बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी संगठन अनुशीलन दल से जुड़े थे पर बाद में वे आध्यात्मिकता की ओर मुड़ गए। कहीं सुभाष भी तो उसी राह पर नहीं चले गए। पर जब तक सुभाष के बारे में पक्की सूचना मिल नहीं जाती, तब तक तो इस निष्कर्ष को भी अंतिम नहीं माना जा सकता। इसी गहमागहमी के बीच अखबारों में यह खबर छपने के बाद, सबसे  पहले महात्मा गांधी का तार, शरत बोस को मिला जिसमे उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की।

शरत बोस ने उन्हें एक संक्षिप्त उत्तर दिया, “सुभाष के घर से निकल जाने की परिस्थितियां, गृहत्याग का संकेत देती हैं।” आशय वही था, जिस निष्कर्ष पर कलकत्ता पुलिस पहुंची हुयी थी। पर रबीन्द्रनाथ टैगोर के तार के उत्तर में शरत बोस ने बस इतना लिखा, “सुभाष जहां कहीं भी होंगे, आप का आशीर्वाद उनके साथ है।” रबीन्द्रनाथ टैगोर न केवल सुभाष पर पर्याप्त स्नेह रखते थे,  बल्कि जब सुभाष और गांधी जी मे मतभेद उभर रहे थे तो उन्होंने सुभाष की तरफ से गांधी जी को समझाने की कोशिश भी की थी।

सुभाष के घर से निकल भागने और फिर बाद में इसका खुलासा होने के बाद घर के किस सदस्य की क्या भूमिका होगी, यह सब योजनाएं बहुत ही सोच समझ कर तैयार की गयी थीं। सुभाष की राजनैतिक हैसियत देखते हुए शरत बोस को इस बात का पक्का यकीन था कि, यह मामला न केवल बंगाल के गवर्नर हर्बर्ट और भारत के वायसरॉय लॉर्ड लिनलिथगो को ही विचलित करेगा, बल्कि इसकी गूज लन्दन में भी होगी। ब्रिटेन उस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर, द्वितीय विश्वयुद्ध में उलझा हुआ था। धुरी राष्ट्रों विशेषकर इटली और जर्मनी की आक्रामकता बढ़ी हुयी थी। ऐसी स्थिति में अंग्रेज यह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि भारत की आंतरिक राजनीति में कोई बड़ी उथल पुथल हो।

इंडियन नेशनल कांग्रेस की सरकारों ने त्यागपत्र दे दिया था। मुस्लिम लीग के एमए जिन्ना और हिंदू महासभा के सावरकर अंग्रेजों के साथ थे। वे महात्मा गांधी से सशंकित तो थे ही, अब यह एक और समस्या, नेताजी सुभाष के नज़रबंदी से फरार होने की आ गयी। सुभाष चाहे आध्यात्मिक या धार्मिक कारणों से घर छोड़ कर गए हों या उनका अन्य कोई गोपनीय मक़सद हो, यह राज खुलना ब्रिटिश राज के लिये बेहद महत्वपूर्ण हो गया था। सच तो यह है कि 27 जनवरी को सुभाष कहाँ हैं इसका पता किसी को भी नहीं था। अकबर शाह को भी सुभाष ने यह हिदायत दे दी थी कि, वे कोई भी संपर्क शिशिर या शरत बोस ने नहीं करेंगे। सुभाष खुद अपनी खैर ख़बर, अपने घर वालों को देंगे। लेकिन तब, जब वे बिल्कुल सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएंगे। और सुभाष ने ऐसा किया भी। पर अभी तो कलकत्ता में दूसरी गतिविधियां चल रही थीं।

फिलहाल कलकत्ता पुलिस और वहां की स्पेशल ब्रांच सीआईडी, इसी में ख़ुफ़िया शाखा भी आती थी, इसी लाइन पर आगे बढ़ रही थी कि, सुभाष सन्यासी होने के लिये ही घर से निकले हैं। क्योंकि पुलिस के पास सुभाष की न तो कोई ऐसी इंटरसेप्टेड डाक मिली और न ही कोई ऐसी सामग्री जिससे उनके फरार हो जाने का कोई अंदेशा हो।

सुभाष ने अपने साथियों को बराबर यही पत्र लिखा कि, वे जल्द ही जेल में जाएंगे। पर किसी पत्र में फरार होने के बारे में कोई संकेत नही दिया। पुलिस को, शरत बोस, शिशिर बोस सहित घर के किसी भी सदस्य पर कोई शक भी नहीं हुआ। वे अपने सामने देख रहे हैं कि, सुभाष बाबू की मां प्रभावती जी खुद व्याकुल है। वे कहीं से भी निश्चिंत न तो दिख रही थीं और न ही थी।

उन्हें तो सच मे इस बारे में कुछ पता ही नहीं था। अब पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग में इस गंभीर चूक के लिये दोषारोपण होने लगा। अधिकतर अधिकारी इसी लाइन पर सहमत थे कि सुभाष ने भी अरबिंदो घोष की राह पकड़ी है। पर एक ख़ुफ़िया अफसर ऐसा था जो फरारी के इस आध्यात्मिक और धार्मिक कारण को न तो समझ पा रहा था, और न ही पचा पा रहा था। वह था, कलकत्ता स्पेशल ब्रांच का सबसे चतुर अफसर, डीसीपी  जेवीबी जेनर्विन। उसने अपने मातहतों से कहा कि, ‘सुभाष में यदि अचानक धार्मिक और आध्यात्मिक रुझान आ भी गया हो तो, उसका उद्देश्य, धार्मिक सन्यास तक ही सीमित नहीं रहेगा। इस रुझान का भी कोई न कोई कारण होगा और आध्यात्मिक होना, सुभाष का उद्देश्य हो नही सकता है।’

इसी बीच 23 जनवरी को अरबिंदो के एक शिष्य जिसका नाम पता नही था का अरबिंदो के नाम एक पत्र इंटरसेप्ट किया गया था, जिसमे यह कहा गया था कि, वह, अज्ञात शिष्य, अभी बंगाल से बाहर नही जा सकता है। इस पत्र को कुछ ख़ुफ़िया सूत्रों ने सुभाष का पत्र समझ लिया और वे फिर से उसी गलत दिशा में मुड़ गए, कि सुभाष ने, सन्यासी होने के लिये गृहत्याग किया है।

यह पत्र पॉन्डिचेरी सरकार के पास जांच हेतु, कूटनीतिक माध्यम से भेजे जाने के लिये दिल्ली भेज दिया गया क्योंकि पॉन्डिचेरी, फ्रांस के अधिकार क्षेत्र में आता था। इसी बीच पंजाब सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट कलकत्ता पुलिस को मिली कि, उनकी सूचना के अनुसार, सुभाष, सोवियत रूस निकल जाने की फिराक में हैं और वे ऐसी साज़िश रच रहे हैं। पर यह एक प्रकार की अस्पष्ट सूचना थी। रूस जाने का इरादा है भी तो, यह खबर, कैसे ख़ुफ़िया सूत्रों को मिली और फिर पंजाब पुलिस ने इसे और क्यों नही कुरेदा ?

एक ख़ुफ़िया सूत्र ने खबर दी कि, सुभाष के एक मित्र, नथालाल पारिख, जो बॉम्बे में रहते हैं और दिसंबर में ही बॉम्बे से आए थे, वे सुभाष से किसी प्रकार मिले और उन्होंने सुभाष के लिये एक फर्जी पासपोर्ट बनवाया था, उसी के आधार पर, सुभाष जापान निकलने के फिराक में होंगे। संयोग से 17 जनवरी को थिसुंग नामक एक  जहाज कलकत्ता से जापान के लिये रवाना भी हुआ था। अब एक बात यह निश्चित हो चुकी थी, सुभाष को 16 जनवरी की शाम रात्रिभोज के बाद किसी ने देखा नहीं था और सुभाष धार्मिक साधना के लिये घरवालों से कह कर अपने कमरे में बंद हो गए थे। इस सूचना के आधार पर, सिंगापुर, प्योंगयांग और हॉंगकॉंग के ब्रिटिश अफसरों को, इस खबर की पुष्टि के लिये केबल (समुद्री तार) भेजे गए। पर इसका कोई परिणाम निकलना भी नहीं था और कोई परिणाम, निकला भी नहीं।

सुभाष की फरारी और उसके बाद उठे, तमाशे ने वायसरॉय लॉर्ड लिनलिथगो को नाराज कर दिया। उन्होंने बंगाल के गवर्नर हर्बर्ट से इस घटना का विवरण मांगा, पर हर्बर्ट द्वारा जो विवरण, वायसरॉय को भेजा गया उससे वायसरॉय और खिन्न हो गए। हर्बर्ट ने फरारी के पीछे वही उद्देश्य बताया, जो उन्हें उनके अधिकारियों ने बताया था। सिवाय, डीसीपी स्पेशल ब्रांच जेनर्विन के, सभी अफसरों का मानना था कि, सुभाष ने सन्यासी होने के लिये गृहत्याग किया है। पर जेनर्विन इस बात पर आश्वस्त नहीं हो रहा था।

हर्बर्ट के सहायकों ने उन्हें यह समझाया कि यदि सुभाष सन्यासी होने के लिये घर से निकल गए हैं तो यह राहत की ही बात है। हर्बर्ट ने अपने सहायकों के मन्तव्य पर विश्वास किया और उन्होंने इस घटना को उतनी गम्भीरता से वायसरॉय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया, जितनी गम्भीरता से सुभाष जैसे राजनीतिक क़द के व्यक्ति के अचानक नज़रबंदी से गायब हो जाने के बाद, प्रस्तुत करना चाहिए था। बंगाल सरकार के इस ढीलेढाले, प्रशासनिक रवैय्ये पर लॉर्ड लिनलिथगो ने अपनी नाराजगी जताई और जो भी दोषी हों उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिये कहा। सुभाष की निगरानी पर लगे पुलिस अफसर दंडित तो हुए ही, डीसीपी स्पेशल ब्रांच जेनर्विन को भी इस केस से हटा दिया गया। जेनर्विन, विभागीय राजनीति के शिकार हुए, जो अंत तक यह मानने के लिए तैयार नही थे कि, सुभाष ने सन्यासी होने के लिए घर छोड़ा है।

हर्बर्ट ने तो वायसरॉय से यह तक कह दिया कि, अगर सुभाष, सन्यासी होने के लिये घर से निकल गए हैं तो यह कोई गम्भीर बात नहीं है। इस पर वायसरॉय का कहना था कि, बोस के पलायन को लंदन में ब्रिटिश सरकार ने बेहद गम्भीरता से लिया है। ‘यह बंगाल सरकार की जिम्मेदारी थी कि, घर पर नज़रबंदी की स्थिति में, उन पर सख्त नज़र रखी जाती और, ज़रा सी भी सन्देहास्पद स्थिति में उन्हें जेल में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए था।

सुभाष के निकल भागने से भारत सरकार के गृह विभाग सहित बंगाल सरकार के कामकाज पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है।” वायसरॉय ने बंगाल के गवर्नर ने साफ साफ इस बात की जांच कराने और रिपोर्ट भेजने की बात की कि, ” बोस ने पुलिस को धोखा दिया था।” “उसने भागने की व्यवस्था कैसे की।” और “वह अब कहां है।” जांच का यह आदेश, केंद्रीय गृह विभाग द्वारा, 13 फरवरी को बंगाल सरकार को दिया गया।

इस पूरे मामले में यदि कोई अफसर, बिल्कुल पेशेवराना तरह से इस मामले की पड़ताल कर रहा था तो वह था, डीसीपी स्पेशल ब्रांच जेवीबी जेनर्विन। हालांकि वह अब जांच से अलग कर दिया गया था, पर वह दो निष्कर्षों पर पहुंच रहा था।

एक,  ‘सुभाष ने घर, भले ही सन्यासी के रूप या सन्यासी होने के लिये छोड़ा हो, पर सुभाष का असल मक़सद, ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जनक्रांति करना है।’

दूसरे,  ‘बोस अपने देश की आजादी के लिए विदेशी मदद लेने के लिए विदेश निकल गए हैं।’

जेनर्विन ने यह निष्कर्ष लंबे समय तक सुभाष पर अध्ययन कर के  निकाला कि, “भारत की पूर्ण आजादी का लक्ष्य प्राप्त करना सुभाष का अंतिम उद्देश्य है और यह फरारी उसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु की गयी है।” जेनर्विन के इस निष्कर्ष को भविष्य ने सच साबित भी किया।

 विजय शंकर सिंह

Previous Post

अब इस तमिल फ़िल्मी राजनीति में ऐक्शन की बारी थी, जैसे मर्डर?

Next Post

अम्बेडकर, राष्ट्र और राहुल

Next Post
अम्बेडकर, राष्ट्र और राहुल

अम्बेडकर, राष्ट्र और राहुल

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024

Our channel

https://www.youtube.com/watch?v=QnB3waJ7Awg
  • Trending
  • Comments
  • Latest
50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

50 मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिनके साथ इतिहास ने किया धोखा !

अगस्त 15, 2018
बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

बिना कपड़े के लड़की से मालिश करवाते हुए दिखे स्वामी चिन्मयानंद, वीडियो वायरल

सितम्बर 11, 2019
सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

सांसद संघमित्रा मौर्य ने पति डॉ. नवल किशोर शाक्य से ली तलाक

मार्च 2, 2021
इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

इमरान प्रतापगढ़ी के पहल पर झारखंड सरकार ने ड्राफ्ट किया मॉब लिंचिंग कानून 

दिसम्बर 14, 2021
मोदी सरकार अपने चहेते उद्यगपतियों के लिए एक लाख करोड़ बैंकों में डाल रही है!

आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ से रचा गया है: रवीश कुमार

528
महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में 360 लोगों पर केस, 15 गिरफ्तार : बिहार

13
ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

ईलाज कराकर लंदन से वापस लौटे अभिनेता इरफान खान

11
काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

काले हिरण मामले में 5 साल की सजा के बाद सलमान खान को मिली विदेश जाने की इजाजत

10
जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 24, 2024

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 23, 2024
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

अप्रैल 21, 2024
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

अप्रैल 17, 2024
Currently Playing

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जौनपुर के त्रिकोणीय लड़ाई में कौन मारेगा बाजी? | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

पहले चरण का फीडबैक बीजेपी के लिए चिंता का सबब | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का साइलेंट होना, बड़े उलटफेर का संकेत दे रहा है

Uncategorized
जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

जामिया की नौशीन ने UPSC में नौवां स्थान प्राप्त किया | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized
क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

क्या राजस्थान के सीकर लोकसभा सीट से कॉमरेड अमराराम की होगी जीत | आग़ा खुर्शीद खान। मुस्लिम टुडे

Uncategorized

टैग्स

#aamAadmiParty (21) #AamAdmiParty (28) #AAP (39) #adeshGupta (15) #BjpDelhi (38) #BJP Government (127) #BOLLYWOOD (40) #Congress (123) #Covid19 (14) #delhi (203) #delhinews (17) #JamiaMilliaIslamia (19) #KEJRIVAL (16) #kisan andolan (18) #Maharashtra (42) #modi (62) #mumbai (21) #newstoday (33) #PM Modi (115) #PriyankaGandhivadra #CongressParty #RahulGandhi (25) #Rahul Gandhi (39) #yogi (13) AMERICA (14) Amit Shah (18) ARVIND KEJRIVAL (41) Bihar (46) BJP (165) coronavirus (156) Hindi News (447) India (418) Kejriwal (20) Politics (47) Ravish Kumar (15) RSS (26) Supreme Court (16) Uttar Pradesh (55) Yogi Adityanath (47) Yogi Govt (16) अखिलेश यादव (20) अमित शाह (13) उत्तर प्रदेश (95) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (15) बीजेपी (19) भाजपा (23) राहुल गांधी (17)

हमारे बारे में

विजन मुस्लिम आज वर्तमान में एक राजनीतिक पत्रिका और एम टी मीडिया वेंचर्स के एक पोर्टल, वैश्विक समाचार और हमारे अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू प्रकाशनों में मौजूदा मामलों के साथ काम कर रहा है।

श्रेणियां

  • Uncategorized (125)
  • अन्य विषय (70)
  • अर्थव्यवस्था (53)
  • इतिहास (13)
  • खेल (531)
  • देश (4,002)
  • प्रौद्योगिकी (17)
  • फैक्ट चेक (2)
  • भारतीय (3,704)
  • भारतीय मुस्लिम (189)
  • मनोरंजन (247)
  • मुद्दे (182)
  • मुस्लिम दुनिया (142)
  • राजनीति (4,111)
  • विदेश (321)
  • वीडियो (4)
  • शिक्षा (44)
  • संपादकीय (84)
  • संस्कृति (9)
  • साक्षात्कार (12)
  • सिनेमा (67)
  • स्तंभ (174)
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति
  • इंग्लिश
  • उर्दू
  • हमारे बारे में
  • हमसे संपर्क करें
  • करियर
  • विज्ञापन
  • गोपनीयता नीति

© 2021 Muslim Today

No Result
View All Result
  • मुख्य पृष्ठ
  • भारतीय
  • विदेश
  • संपादकीय
  • साक्षात्कार
  • खेल
  • अर्थव्यवस्था
  • फैक्ट चेक
  • शिक्षा
  • सिनेमा

© 2021 Muslim Today

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist