नई दिल्ली: ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने कहा कि अगर ईरान और कुद्ज फोर्स के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी नहीं होते तो इस्लाम का पवित्र स्थल मक्का आतंकवादी आईएसआईएस के कब्जे में होता।
हुसैन ने कहा कि ईरान सीरिया और इराक जैसे देशों की इस्लामिक स्टेट से लड़ने में मदद नहीं करता तो मध्य-पूर्व की स्थिति ऐसी नहीं होती, जैसी आज है।
हुसैन ने अलजजीरा को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कही हैं, हुसैन ने कहा कि ईरान को इस क्षेत्र में किस बात ने मजबूत बनाया?
अमेरिका द्वारा शहीद सुलेमानी के मारे जाने की दूसरी बरसी पर, हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि ईरान हमेशा से इस क्षेत्र में तरक्की के पक्ष में रहा है और रहेगा।
हुसैन ने कहा कि अगर ईरान और जनरल सुलेमानी ने आईएसआईएस और अन्य आतंकी संगठनों से लड़ने में इस क्षेत्र के देशों, खासकर, सीरिया और इराक का सहयोग नहीं किया होता तो ये क्षेत्र वैसा नहीं दिखता जैसा आज दिख रहा है, मक्का आईएसआईएस और आतंकवादियों के कब्जे में होता।
हुसैन ने कहा कि दूसरे देश सोचते हैं कि ऐसा करके हम इस क्षेत्र के देशों के आंतरिक मामलों में दखल देते हैं, लेकिन ये सही नहीं है, उन्होंने कहा, हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारी मिसाइलें क्षेत्र के दुश्मनों की ओर लक्षित हैं।
ईरान के दुश्मनों की तरफ और इस्लामिक दुनिया के दुश्मनों की तरफ, मेरा मानना है कि इस क्षेत्र और इस्लामिक वर्ल्ड के हमारे मित्र देश भी क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए हमारी जरूरत को समझ चुके हैं।