हरिद्वार।धर्म संसद जिस मैं देश के मुसलमानों को क़त्ल करने की बात की गई है, बता दें कि 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिल्ली बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय भी शामिल हुए थे. इसी धर्म संसद के वीडियो में दिख रहा है कि हिन्दुत्ववादी नेता और साधु, मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिन्दुओं से हथियार उठाने की अपील कर रहे हैं।इसी वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर विदेश के लोग भी भारत सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं।
इसके अलावा विदेशी मीडिया में इसे अच्छी ख़ासी कवरेज मिली है. यति नरसिम्हानंद के लिए यह पहली बार नहीं है, जब उन्होंने मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की बात कही है. इससे पहले वो पैग़ंबर मोहम्मद पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं।
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ब्रिटेन की सांसद नाज़ शाह ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत वाले हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, ”यह 1941 का नाज़ी जर्मनी नहीं है. यह 2021 का भारत है. मुसलमानों को मारने की अपील की जा रही है. यह अब हो रहा है. जो इसे अतिवादी समूह कह रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि हिटलर ने भी शुरुआत ऐसे ही की थी. इस मामले में वैश्विक विरोध कहाँ है?”
वहीं बाइलाइन टाइम्स के विदेशी संवाददाता सीजे वरलेमन ने दिल्ली में हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यक्रम का वीडियो क्लिप ट्विटर पर पोस्ट किया है. इस क्लिप में कट्टर हिन्दूवादी नेताओं के भाषण का अंग्रेज़ी में अनुवाद भी है. वरलेमन ने वीडियो क्लिप की एक लाइन अंग्रेज़ी में लिखी है- हिन्दू राष्ट्र के लिए हम लड़ने और मारने के लिए तैयार
न्यू जर्सी स्थित रकर्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई इतिहास की प्रोफ़ेसर ऑड्री ट्रुश्के ने भी इससे जुड़ी ख़बर को ट्वीट करते हुए लिखा है, ”एक समाज जनसंहार को रोकना चाहता है. इससे जुड़े कार्यक्रमों को रोका जाता है और गिरफ़्तारियां होती हैं ताकि फिर से ना हो. मोदी के भारत में? बीजेपी के नेता ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और कोई गिरफ़्तारी नहीं होती है।
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हरिद्वार का वीडियो क्लिप रीट्वीट करते हुए इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने लिखा है, ”आईएमसीए हिन्दू राष्ट्रवादियों की भारत में मुसलमानों के जनसंहार की अपील की निंदा करता है. पिछले दिनों हिन्दू अतिवादी नेताओं ने धर्म संसद का आयोजन किया और इसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने की अपील की गई है.”
तुर्की के सरकारी प्रसारक टीआरटी ने भी इसे लेकर ख़बर प्रकाशित की है. टीआरटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”सत्ताधारी नरेंद्र मोदी की सरकार से जुड़े कट्टर दक्षिणपंथी समूह के नेताओं ने भारत में अल्पसंख्यकों के सफ़ाए की अपील की है. ख़ासकर भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को निशाने पर लिया गया है.”
टीआरटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”30 जनवरी, 1948 को गोडसे ने गांधी की हत्या की थी और उनका जुड़ाव भी हिन्दुत्व की विचारधारा से ही था. भारत में लव-जिहाद के नाम पर भी मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. इसके अलावा दिल्ली से सटे गुड़गाँव में मुसलमानों को खुले में नमाज़ नहीं पढ़ने दिया जा रहा है.”
द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया असोसिएट और लेखक माइकल कगलमैन ने ट्वीट कर लिखा है, ”पिछले हफ़्ते भारत में तीन दिन का एक विशुद्ध नफ़रत फैलाने वाला कार्यक्रम हुआ. इसमें अल्पसंख्यकों के प्रति हिंसा के लिए भी उकसाया गया. यह डरावना है. लेकिन सरकार की ओर से कोई सख़्ती या निंदा नहीं है. दुखद सच्चाई यह है कि बहरा करने वाली चुप्पी कम से कम हैरान करने वाली नहीं है. इसमें एक वक्ता सत्ताधारी बीजेपी का था और बाक़ी लोग भी बीजेपी से जुड़े हुए हैं।