यूपी में भी बंगाल की राह पर मोदी
हिसाम सिद्दीकी
गोरखपुर! उत्तर प्रदेश असम्बली एलक्शन सर पर आ गया, वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी समेत पूरी बीजेपी को शायद यह एहसास हो गया है कि वह असम्बली एलक्शन हारने वाले हैं इसीलिए वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी, वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार के कई वजीरों के बोल बिगड़ गए हैं। गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के लिए पीएम मोदी ने जिस तरह की जबान का इस्तेमाल किया वह किसी भी कीमत पर वजीर-ए-आजम की सतह की जबान नहीं हो सकती। उन्होने समाजवादी पार्टी का नाम लिए बगैर कहा कि यह लाल टोपी वाले, लाल बत्ती और सत्ता के लिए उतावले हैं। यह सत्ता चाहते हैं ताकि लूट मचा सकें, अपनी तिजोरियां भर सकें, माफिया गुण्डों और दहशतगर्दों की मदद कर सकें। ऐसा लगता है कि घबराहट में मोदी ठीक उसी रास्ते पर चल पडे़ हैं जिस राह पर चलकर उन्होने मगरिबी बंगाल असम्बली एलक्शन में ममता बनर्जी पर जाती हमले किए थे। अब वैसा ही वह अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर कर रहे हैं।
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अखिलेश ने भी मोदी को मुंह तोड़ जवाब दिया और कहा लाल रंग तो इंकलाब का रंग है। उत्तर प्रदेश में यह लाल रंग सत्ता तब्दील करेगा। याद रहे कि मगरिबी बंगाल में भी मोदी ने ममला बनर्जी पर इसी तरह हमले किए थे। उनका एक जुमला ‘दीदी ओ दीदी’ खुद उन्हीं की पार्टी के लिए जहर साबित हुआ था। उन्होने कहा कि लाल रंग का मतलब ‘रेड अलर्ट’ है। अखिलेश यादव ने कहा कि रेड अलर्ट तो महंगाई है, बेरोजगारी है, हाथरस, लखीमपुर, ख्वातीन और नौजवानां का इस्तेहसाल, किसान मजदूरों की बदहाली है, किसानों को खाद न मिलना है, मरीजों को इलाज न मिलना है, गन्ने की कीमतें न मिलना है और सरकार के लिए आम लोगों में खत्म हो चुका भरोसा है। यह लाल रंग उत्तर प्रदेश की सत्ता को तब्दील कर देगा।
वजीर-ए-आजम मोदी उत्तर प्रदेश असम्बली के एलक्शन के लिए सरासर बेईमानी जैसा काम कर रहे हैं। एलक्शन सर पर अया तो नवम्बर-दिसम्बर में उनके तकरीबन दो दर्जन सरकारी प्रोग्राम उत्तर प्रदेश में लग गए। इन प्रोग्रामों में वह मुख्तलिफ प्रोजेक्ट्स का संगे बुनियाद रखते हैं और इफ्तेताह (उद्घाटन) करते हैं। प्रदेश सरकार उनके लिए रोडवेज की सैकड़ों बसें लगाकर भीड़ इकट्ठा करती है। इफ्तेताह और संगे बुनियाद का बटन दबाने के बाद मोदी खालिस सियासी तकरीर करते है। यानी उनकी एलक्शन रैलियों के लिए सरकारी खर्चे पर भीड़ इकट्ठा की जाती है। यह कौन सी अखलाकियात (नैतिकता) है।
अगर उन्हें एलक्शन रैलियां ही करनी हैं तो इन रैलियों को सरकारी जामा क्यों पहनाते है। भीड़ लाने पर जो खर्च होता है, उसका बोझ सरकार के बजाए भारतीय जनता पार्टी को उठाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है सारा खर्च सरकार उठा रही है।
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गोरखपुर में सात दिसम्बर को जिस आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) का इफ्तेताह वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने किया वह भी उसी तरह आधा अधूरा है जिस तरह उन्होने 19 नवम्बर को आधे अधूरे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का इफ्तेताह किया था। एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ सर्विस लेन नहीं बनी थी, गाजीपुर से लखनऊ तक मुसाफिरों की सहूलत के लिए कोई टायलेट नहीं बना और न ही कोई पेट्रोल पम्प बना। इसी तरह गोरखपुर एम्स की शुरूआत कर दी गई, पहले दिन ग्यारह मरीज भी भर्ती हो गए लेकिन अभी भी सिर्फ पन्द्रह डाक्टर ही एम्स में आए हैं। एम्स में कोई डायरेक्टर भी नहीं है।
कारगुजार डायरेक्टर डाक्टर सुरेखा किशोर ने बताया कि एम्स में सात सौ पचास बिस्तरों का बंदोबस्त किया जा रहा है। तीन सौ बेड पूरी तरह तैयार हैं। एक सौ सत्ताइस (127) डाक्टर इसमें अपवाइंट किए जाने हैं। अभी तक पन्द्रह डाक्टर ही अपने काम पर आ चुके हैं।
इस मौके पर मोदी ने गोरखपुर में तीस सालों से बंद पड़े खाद कारखाने को भी दोबारा शुरू किया। इसमें यूरिया खाद बनती है। दोबारा शुरू होने के वक्त एलईडी स्क्रीन पर खाद बनते दिखाया भी गया फिर उसे बंद कर दिया गया। अब यह कारखाना दो महीने बाद दोबारा शुरू होगा। बीजेपी लीडरान मोदी की तकरीर से बडे़ खुश नजर आए, उनका कहना था कि मोदी ने जिस तरह समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर निशाना साधा है उससे एलक्शन में बीजेपी को सियासी फायदा मिलना तय है। जबकि समाजवादी पार्टी का कहना है कि मोदी इस तरह सतह से गिरी बातें करेंगे तो प्रदेश के अवाम ही उन्हें मुंह तोड़ जवाब दे देंगे।