गुजरात दंगों की नए सिरे से जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली, 9 दिसंबर । सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा दंगों की फिर से जांच की है, जिसमें गुजरात के विभिन्न हिस्सों में हुए दंगों की विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया गया है। जज एएम खानुलकर ने गुरुवार को मांग याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दंगों में पूर्व सांसद जाफरी की मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ता ने राजनेताओं और गुजरात पुलिस पर दंगों में साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि एसआईटी ने मामले में उचित जांच करने की अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की, इस प्रकार तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को बरी कर दिया। इसलिए इस मामले की दोबारा जांच की जरूरत है।
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वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान गंभीर सवाल उठाए और पीठ को बताया कि आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत और जरूरी दस्तावेज उपलब्ध होने के बावजूद एसआईटी ने उन्हें दोषी नहीं पाया. इसका फायदा आरोपियों को मिला और कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
एसआईटी की ओर से भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ताओं के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता से जांच की गई है. सभी सबूतों और दस्तावेजों की गहनता से जांच की गई।
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गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों लोगों की अनियंत्रित भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला किया था, जिसमें 59 यात्रियों की मौत हो गई थी। घटना के अगले दिन 28 फरवरी को गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में दंगे भड़क उठे, जिसमें एहसान जाफरी समेत सैकड़ों लोग मारे गए।