त्रिपुरा का दौरा करने वाले तथ्यान्वेषी दल के वकीलों पर यूएपीए लगाए जाने के विरोध में प्रदर्शन
5 नवंबर, 2021 को त्रिपुरा भवन में कई संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया। एनसीएचआरओ ने ही इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। वकीलों की एक टीम के त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए जाने के बाद, पुलिस ने उन पर कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है, इंडियन पीनल कोड की कई अन्य धाराएँ भी लगाई हैं। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO) के एडवोकेट अंसार इंदौरी और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) के एडवोकेट मुकेश को त्रिपुरा पुलिस ने 3 नवंबर, 2021 को नोटिस भेजा था।
अगरतला में मुस्लिम आबादी पर निर्देशित सांप्रदायिक हिंसा की सच्चाई 2 नवंबर, 2021 को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैक्ट-फाइंडिंग टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट जारी करने के बाद लोगों की नज़रों के सामने आई। यह त्रिपुरा में भाजपा सरकार के लिए अस्वीकार्य था, जो सच्चाई को दबाने के लिए हर पैंतरेबाज़ी अपना रही है, और बार-बार दावा कर रही है कि वहां कोई हिंसा नहीं हुई।
मानवाधिकार संगठन नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO) मानवाधिकार वकीलों पर UAPA लगाने की निंदा करता है, और मांग करता है की एनसीएचआरओ के एडवोकेट अंसार इंदौरी और पीयूसीएल के एडवोकेट मुकेश के खिलाफ मामला तुरंत रद्द किया जाए। हम कठोर यूएपीए को निरस्त करने की भी मांग करते हैं, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से आलोचकों को चुप कराना है।
न्याय के लिए खड़े किसी को भी चुप कराने के उद्देश्य से सरकार की डराने वाली रणनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम उक्त वकीलों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और न्याय के लिए और समाज में नफरत फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।